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Omicron: 38 देशों में फैला कोरोना का नया वैरिएंट, WHO की चीफ साइंटिस्ट ने कहा- मौजूदा वैक्सीन कारगर

विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन ने ओमिक्रॉन के बारे में ताजा जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि ओमिक्रॉन ज्यादा संक्रामक है और तेजी से फैलता है। ऐसे में ये डेल्टा वैरिएंट पर हावी हो सकता है। सौम्या का ये भी कहना है कि ओमिक्रॉन के लिए अलग वैक्सीन की जरूरत नहीं है।

न्यूयॉर्क/जेनेवा। बीती 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका में पहली बार कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट की पहचान हुई थी। इसके बाद अब तक ये 38 देशों में फैल चुका है। 400 से ज्यादा मरीज ओमिक्रॉन के मिले हैं। अमेरिका की बात करें, तो यहां के 11 राज्यों में इस वैरिएंट ने दस्तक दे दी है। नॉर्वे में भी 15 केस मिले हैं। उधर, विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन ने ओमिक्रॉन के बारे में ताजा जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि ओमिक्रॉन ज्यादा संक्रामक है और तेजी से फैलता है। ऐसे में ये डेल्टा वैरिएंट पर हावी हो सकता है। सौम्या का ये भी कहना है कि ओमिक्रॉन के लिए अलग वैक्सीन की जरूरत नहीं है। जबकि, ओमिक्रॉन वायरस वैक्सीन की दो डोज ले चुके लोगों को भी शिकार बना रहा है। एक इंटरव्यू में सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि अभी ये कहना जल्दबाजी होगी कि डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन कम जोखिम पैदा कर रहा है। उन्होंने बताया कि अभी दुनिया में 99 फीसदी संक्रमण की वजह डेल्टा वैरिएंट है।

saumya swaminathan who

सौम्या ने कहा कि ओमिक्रॉन को लेकर ज्यादा चिंता न कर सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि फिलहाल जो मरीज इसके मिल रहे हैं, वे कम लक्षण के हैं। फिर भी डब्ल्यूएचओ ने इसे कम जोखिम वाला मानने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि ओमिक्रॉन का असर कम होने का मतलब है कि अब तक लगी वैक्सीन इस पर भी काम कर रही है। ऐसे में बूस्टर डोज ही लगाए जाने चाहिए। सौम्या ने कहा कि सभी कोरोना वायरस का सामना करने के लिए मौजूदा वैक्सीन ही काफी है।

Corona Vaccine

बता दें कि ओमिक्रॉन से पीड़ित मरीजों में गंध और स्वाद खत्म नहीं हो रहा है। इसके शिकार लोगों में थकान, बदन दर्द, सिरदर्द देखने को मिल रहा है। अब तक जितने भी मरीज मिले हैं, उन्हें अस्पताल ले जाने या ऑक्सीजन देने की भी कोई जरूरत नहीं पड़ी है। ऐसे में फिलहाल लगता है कि ओमिक्रॉन काफी कम गंभीर असर कर रहा है, लेकिन वैज्ञानिक लगातार कह रहे हैं कि लोगों को सतर्कता बरतनी चाहिए।