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अमेरिका के फ्लोरिडा में कोविड से इतनी मौतें कि भर गया मुर्दाघर, रेफ्रीजरेटर वाले कूलरों में रखी जा रही हैं लाशें, पर अब गायब है “गिद्ध” मीडिया

America Corona Death: ये सिलसिला आज का नही है। बल्कि लंबे समय से हालात यूं ही खराब बने हुए हैं। मार्च 2020 में यहां अस्पतालों को अस्थायी मुर्दाघरों की खातिर रेफ्रीजरेटेड ट्रकों तक का इस्तेमाल करना पड़ा था।

नई दिल्ली। भारत में कोरोना से हो रही मौतों का दुनिया भर में तमाशा बनाने वाला गिद्ध मीडिया अब आंख पर पट्टी बांधकर बैठा है। अमेरिका के फ्लोरिडा में कोविड से हो रही मौतों का तांडव मचा हुआ है। मुर्दाघर कब के भर चुके हैं। अस्पताल बेहाल हैं। कोविड से मरने वाले मरीजों को रखने के लिए रेफ्रीजरेटर वाले कूलरों का इस्तेमाल कर रहे हैं। मगर अब अंतराष्ट्रीय मीडिया धृतराष्ट्र बन चुका है। उसे कुछ भी दिखाई नही दे रहा है। भारत को दुनिया में बदनाम करने की खातिर विदेशी मीडिया के हाथों में खेलने वाले देश के समाचार समूह भी खामोश हैं। जो हकीकत नंगी आंखों से दिख रही है, अब उस पर कलम चलाने की फुर्सत नही है। अमेरिका के फ्लोरिडा के अस्पतालों में इस समय इंसानों से अधिक लाशें नजर आ रही हैं। उनके पास लाशों को रखने की जगह नही बची है। अमेरिका के सेंट्रल फ्लोरिडा के एडवेंट हेल्थ अस्पताल की क्षमता कब की भर चुकी है। यहां का मुर्दाघर पहले से ही फुल है। इन हालातों में ये अस्पताल कोविड की लाशों को रखने के लिए किराए के इंतजाम कर रहा है। अस्पताल प्रशासन की ओर से ऑरेंज, पोक, सेमीनोल और वोलुसिया काउंटी जैसी अलग अलग दस जगहों पर किराए पर रेफ्रीजरेटेड कूलर का इंतजाम किया गया है ताकि कोविड की लाशों को रखा जा सके।

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मगर समस्या यहीं खत्म नही होती है। अब ये कूलर भी तेजी से भरते जा रहे हैं। इसके बाद कोविड की डेडबॉडी कहां रखी जाएगी, किसी को नही पता। ये हकीकत सबको दिखाई दे रही है मगर सीएनएन, बीबीसी, अलजज़ीरा जैसे चैनलों की आंखों पर अब पट्टी बंध गई है। न्यूयार्क टाइम्स और वॉशिंगटन पोस्ट अब अंधे हो चुके हैं। उन्हें कुछ भी नजर नही आ रहा है। अंतिम संस्कार की जगहों पर भी लंबी वेटिंग है। इसी के चलते शवों को लंबे समय तक रखना पड़ रहा है। मगर सवाल यह है कि रखें कहां?

फ्लोरिडा में कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। जॉन हापकिंस यूनिवर्सिटी का आंकड़ा इस बात की गवाही देता है। इस आंकड़े के मुताबिक राज्य में हॉस्पिटलाइजेशन के मामलों की संख्या अपने चरम पर है। अब तक 66 फीसदी फ्लोरिडा के रहने वालों का टीकाकरण हो चुका है। मगर जब आप इस आंकड़े को 20 से 29 साल की उम्र के दायरे में देखते हैं तो ये आंकड़ा 47 फीसदी पर पहुंच जाता है। राज्य में रोज ही कोविड के करीब 21,000 नए मामले सामने आ रहे हैं। करीब 17,000 मामले ऐसे हैं जिसमें अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत होती है। प्रतिदिन होने वाली मौतों का आंकड़ा  200 है। इसके बावजूद विदेशी मीडिया ने इस पर चुप्पी साधी हुई है।

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ये सिलसिला आज का नही है। बल्कि लंबे समय से हालात यूं ही खराब बने हुए हैं। मार्च 2020 में यहां अस्पतालों को अस्थायी मुर्दाघरों की खातिर रेफ्रीजरेटेड ट्रकों तक का इस्तेमाल करना पड़ा था। भारत में चिताओं की तस्वीर दिखाने वाली विदेशी मीडिया इसकी चर्चा तक करने को तैयार नही है। भारत के खिलाफ एजेंडा चलाना इनकी एडिटोरियल पॉलिसी का अहम हिस्सा है। फ्लोरिडा की घटनाओं ने एक बार फिर से इस खतरनाक एजेंडे का पर्दाफाश कर दिया है।