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Delhi : सिविल सेवा परीक्षा में प्रश्नों के जटिल हिंदी अनुवाद पर डीयू प्रोफेसर ने लिखा यूपीएससी अध्यक्ष को पत्र, समाधान करने की मांग की

Delhi : हाल ही में संपन्न हुई सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा-2020 (Civil Services Pre Examination-2020) में हिंदी में गलत तथा दुर्बोध अनुवाद पर डीयू (DU) के हिंदी विभाग में प्रोफेसर व “प्रज्ञानम इंडिका” संस्था के निदेशक निरंजन कुमार ने यूपीएससी अध्यक्ष (UPSC President) को पत्र लिखकर अनुवाद संबंधी विभिन्न समस्याओं के समाधान की मांग की है।

नई दिल्ली। हाल ही में संपन्न हुई सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा-2020 (Civil Services Pre Examination-2020) में हिंदी में गलत तथा दुर्बोध अनुवाद पर डीयू (DU) के हिंदी विभाग में प्रोफेसर व “प्रज्ञानम इंडिका” संस्था के निदेशक निरंजन कुमार ने यूपीएससी अध्यक्ष (UPSC President) को पत्र लिखकर अनुवाद संबंधी विभिन्न समस्याओं के समाधान की मांग की है। ध्यान देने योग्य हो कि इस वर्ष संपन्न हुई सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-1 में अंग्रेजी के “सिविल डिसओबिडिएंस मूवमेंट” का हिंदी अनुवाद “असहयोग आंदोलन” दिया था।

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इसी तरह की कई और भी अनुवाद संबंधी गलतियां थीं। इसी तरह अनुवाद की भाषा भी इतनी क्लिष्ट थी कि परीक्षार्थियों को समझने में बहुत मुश्किलें हुईं। अनुवाद संबंधी विभिन्न समस्याएं लगातार अन्य परीक्षाओं में देखी जा रही हैं, जिसमें सुधार की मांग विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने वाले हिंदी माध्यम के छात्र लगातार कर रहे हैं।

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संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष को इस संदर्भ में दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर निरंजन कुमार ने पत्र लिखकर अनुवाद में त्रुटियां तथा दुर्बोधता को दूर करने की मांग की है।

प्रोफेसर निरंजन कुमार ने कहा, “परीक्षाओं में प्रचलित तथा बोधगम्य शब्दों का चयन किया जाना चाहिए जिससे परीक्षार्थी को भाषा के स्तर पर अनावश्यक न जूझना पड़े। अगर अनुवाद में समस्याएं होंगी तो परीक्षा के उद्देश्य के विपरीत परीक्षार्थी को समस्या का सामना करना पड़ सकता है जो कि एक तरह से उसके साथ अन्याय है। मैंने यूपीएससी अध्यक्ष को इस संदर्भ में अवगत कराकर सुधार की मांग की है, जिससे हिंदी माध्यम के छात्रों को बराबरी का अवसर मिल सके। सभी परीक्षार्थियों को यह आशा है कि भविष्य में ऐसी पुनरावृत्ति नहीं होगी।”