नई दिल्ली। कोरोना महामारी की स्थिति को देखते हुए सभी आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के जाति प्रमाण पत्र ऑनलाइन आवेदन करने की मांग की गई है। ये मांग की गई है कि ऑन लाइन उनकी जांच करने के पश्चात 15 दिनों में जाति प्रमाण बनाकर घरों पर जाति प्रमाण पत्र भेजे जाए। ऐसा होने पर छात्र समय से शिक्षण संस्थानों में एडमिशन ले सकेंगे। दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने यह मांग दिल्ली सरकार के समक्ष रखी है। दिल्ली में पढ़ने वाले एससी, एसटी, ओबीसी जाति व सामान्य जाति के आर्थिक रूप से कमजोर ईडब्ल्यूएस श्रेणी के छात्र 12 वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात दिल्ली स्थित कॉलेज, शिक्षण संस्थानों या दिल्ली में स्थापित विश्वविद्यालयों में एडमिशन लेना चाहते हैं।
ओबीसी छात्रों के पास जाति प्रमाण पत्र पुराना बना होने के कारण वे कॉलेजों, दिल्ली विश्वविद्यालय में एडमिशन के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। हालांकि छात्र का संबंधित कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए नाम आ जाता है तो छात्र को एडमिशन के समय ( करंट ईयर ) छात्रों से 31 मार्च 2021 के बाद का बना हुआ ओबीसी कोटे का जाति प्रमाण पत्र मांगेंगे। इसी तरह के नियम ईडब्ल्यूएस के माध्यम से आरक्षण लेने वाले छात्रों के साथ भी अपनाए जाते है। वहीं एससी, एसटी के छात्रों का जाति प्रमाण पत्र एक ही बार बनता है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक संगठन, दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन ( डीटीए ) ने दिल्ली के समाज कल्याण मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम को इस बारे में पत्र लिखा है। इस पत्र में कहा गया है कि कोरोना महामारी को देखते हुए एससी, एसटी, ओबीसी जाति के अलावा ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र ऑन लाइन बंनाने के निर्देश संबंधित एसडीएम कार्यालयों को दे। इससे आसानी से जाति प्रमाण पत्र बन सके।
साथ ही उन्होंने यह भी मांग की है कि ऑन लाइन जाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन पत्र स्वीकार करें। ओबीसी कोटे के जाति प्रमाण पत्र व ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र हर साल नवीनीकरण कराए जाते है उन्हें तीन साल बाद नवीनीकरण कराने की छूट दिए जाने की मांग की है।
डीटीए के प्रभारी डॉ हंसराज सुमन ने बताया, ” कोरोना के चलते एसडीएम कार्यालय में स्टाफ कम आ रहा है। जैसे ही 12 वीं कक्षा का परिणाम घोषित होगा आरक्षित श्रेणी के छात्रों द्वारा जाति प्रमाण पत्र बनाने की भीड़ होगी। भीड़ को कम करने के लिए ऑन लाइन आवेदन व ऑन लाइन प्रमाण पत्रों की जांच की जाए ताकि आवेदकों को समय पर जाति प्रमाण पत्र मिल सके। ”
उन्होंने यह भी मांग की है कि जाति प्रमाण पत्र बनने में लगभग एक महीना लग जाता है। कई बार जाति प्रमाण पत्र उपलब्ध न होने के कारण छात्र एडमिशन से वंचित रह जाते है। इसलिए इन प्रमाण पत्रों को 15 दिनों में बनाया जाए। डॉ. सुमन ने बताया, ” कॉलेजों, विश्वविद्यालय में छात्रों के पास ओबीसी जाति का प्रमाण पत्र न होने के कारण हर साल दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में सैकड़ों सीट खाली रह जाती है। जिसे बाद में या तो खाली रखा जाता है या फिर सामान्य वर्गो के छात्रों से भर ली जाती है। उनका कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में एडमिशन के लिए रजिस्ट्रेशन कराने के लिए एक महीना लग सकता है। ओबीसी कोटे के छात्र अपना जाति प्रमाण पत्र फॉर्म जमा करा दे और एडमिशन लेते समय जाति प्रमाण पत्र की फोटो कॉपी या आवेदन करने की स्लिप जमा कर दे। यदि उस समय तक जाति प्रमाण पत्र नहीं बनता है तो कॉलेज से अंडरटेकिंग फॉर्म भरकर दे और दो सप्ताह में जमा कराया जा सके है।”