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पूर्वोत्तर में किए गए विकास और पीएम मोदी के चेहरे के साथ परचम लहराने जा रही है भाजपा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को असम और त्रिपुरा के दौरे पर हैं। पूर्वोत्तर में भाजपा पिछली बार की तरह इस बार भी परचम लहराने जा रही है। भाजपा अपने विकास कार्यों को गिनाकर पीएम मोदी के चेहरे के साथ पूर्वोत्तर में शानदार प्रदर्शन करने के प्रति पूरी तरह आश्वस्त है. पूर्वोत्तर में मतदान के पहले चरण में 19 अप्रैल को वोटिंग होनी है।

2019 के लोकसभा चुनाव की करें तो पूर्वोत्तर में भारतीय जनता पार्टी ने जो झंडे गाड़े थे, उसे इस बार भी थामे रखने का पार्टी को पूरा भरोसा है। इस भरोसे के पीछे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह विश्वास है कि उन्होंने जिस तरह से पूर्वोत्तर की विकास की योजनाएं सिरे चढ़ाई हैं, उसके बाद वहां की जनता उनकी पार्टी और सरकार को कभी नहीं भूलेगी। इसमें एक पक्ष यह भी है कि प्रधानमंत्री मोदी की तरह ही गृहमंत्री अमित शाह ने भी पूरे पूर्वोत्तर भारत में विभिन्न शांति समझौते के तहत एक स्थायी शांति का माहौल बनाया है

बता दें कि पूर्वोत्तर भारत में 19 अप्रैल को पहले चरण में मतदाता लोकसभा के साथ अरुणाचल प्रदेश व सिक्किम में विधानसभा चुनाव के लिए भी मत डालेंगे। इस चुनावी लड़ाई में सबसे आगे भाजपा के नेतृत्व वाला राजग है। पूर्वोत्तर में आठ सीमावर्ती राज्य हैं- अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा। इस क्षेत्र में लोकसभा की कुल 25 सीटें हैं। 2019 के आम चुनाव में राजग ने पूर्वोत्तर में 18 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि भाजपा ने असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा और मणिपुर जैसे राज्यों से अकेले 14 सीटें हासिल की थीं। उत्तर-पूर्व लोकतांत्रिक गठबंधन के संयोजक और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राजग की संभावनाओं पर भरोसा जताया है और पूरे क्षेत्र में 22 सीटों पर जीत की भविष्यवाणी की है।

विपक्ष द्वारा पूर्वोत्तर में नागरिकता संशोधन अधिनियम और चुनावी बॉन्ड जैसे मुद्दे उठाने के विपक्ष के प्रयासों के बावजूद चुनावों में मतदाताओं प्रभावित होने की संभावना कहीं दिखाई नहीं दे रही है। असम में नगांव और करीमगंज में मुख्य रूप से मुस्लिम मतदाताओं को देखते हुए मुकाबला थोड़ा कठिन है लेकिन भाजपा ने यहां भी पूरी तैयारी की हुई है। आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के बदरुद्दीन अजमल मुस्लिम बहुल धुबरी से चुनाव लड़ रहे हैं। बता दें कि कांग्रेस हाल के वर्षों में पूर्वोत्तर के किसी भी विधानसभा चुनाव में जीत नहीं पाई है। वहीं, भाजपा उसके सहयोगियों की आठ में से छह राज्यों में पकड़ मजबूत है।

पूर्वोत्तर में स्थायी शांति के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पहले कार्यकाल से ही तत्पर और सक्रिय हैं। मोदी सरकार ने न केवल इन समस्याओं के स्थायी निदान के लिए पहल की, बल्कि उग्रवादी गुटों को भी हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए ईमानदारी से कोशिश की। असम में पिछले 40 साल में पहली बार सशस्त्र उग्रवादी संगठन उल्फा ने भारत और असम सरकार के साथ त्रिपक्षीय शांति समझौते पर कायम है। मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल में पूर्वोत्तर में हिंसा के काले दौर को समाप्त करने की एक ईमानदार कोशिश हुई।

पूर्वोत्तर भारत में सर्वाधिक आबादी वाला असम राज्य 14 संसदीय सीटों के साथ महत्वपूर्ण प्रभाव रखता है। 2019 में भाजपा ने सहां 9 सीटें जीती थीं। इस बार पार्टी ने 11 प्रत्याशी उतारे हैं, जबकि सहयोगी असम गण परिषद (एजीपी) और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) शेष तीन पर चुनाव लड़ रही हैं। परिसीमन के बाद असम में राजग के मजबूत होने का अनुमान है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का दावा है कि राजग कम से कम 12 सीटें जीतेगा। असम के अलावा, इस क्षेत्र के अन्य राज्य भी महत्वपूर्ण है। 2019 में भाजपा ने अरुणाचल में दो सीटें जीती थीं। मेघालय, त्रिपुरा और मणिपुर में दो-दो सीटें हैं, जबकि नागालैंड, मिजोरम और सिक्किम में एक-एक सीट है। भाजपा ने एक दशक में जो विकास किए हैं। भाजपा उसके आधार पर उस पर वोट मांग रही है। भाजपा ने असम में सेमीकंडक्टर उद्योग से लेकर अरुणाचल में मजबूत सीमा विकास पहल को बढ़ावा देने और मणिपुर में सबसे ऊंचा पियर रेल पुल बनाने तक, क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को मजबूत करने के उद्देश्य से कई योजनाओं पर काम किया है।

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हाल ही में अरुणाचल में 13,000 फीट की ऊंचाई पर बनाई गई सेला टनल का पीएम मोदी ने उद्घाटन किया था और चीन को अपना इरादा बता दिया था। देश की पहली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी मणिपुर में स्थापित की गई है। 8 राज्यों में 200 से अधिक ‘खेलो इंडिया सेंटर’ बनाए जा रहे हैं।

वहीं इसके विपरीत, विपक्षी बंटा हुआ और कमजोर दिखाई देता है। विशेष रूप से असम में, जहां कांग्रेस के नेतृत्व वाला संयुक्त विपक्षी मंच असम (यूओएफए) सीट आवंटन को लेकर आंतरिक कलह से जूझ रहा है। वहीं भाजपा की तरफ से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित पार्टी के प्रमुख नेता पूर्वोत्तर भारत में भाजपा की जीत के लिए ताकत झोंके हुए हैं। भाजपा पूर्वोत्तर भारत में जीत के लिए आश्वस्त नजर आती है बावजूद इसके वह वहां पर पूरी ताकत के साथ प्रचार में जुटी हुई है।

डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।