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Dilip Kumar Death Anniversary: आखिर क्यूं दिलीप साहब को खोलना पड़ा था सैंडविच स्टॉल, पाकिस्तान से मिला था ये सर्वोच्च सम्मान

Dilip Kumar Death Anniversary: हिंदी फिल्म जगत को दिलीप साहब ने एक से बढ़कर एक शानदार फ़िल्में दी और उन्होंने सालों तक करोड़ो लोगों के दिलों पर राज किया। दिलीप साहब न सिर्फ सिनेमा जगत का एक बड़ा सितारा थे बल्कि असल जिंदगी में भी वो एक बेहतरीन इंसान थे।

नई दिल्ली। आज दिलीप साहब को दुनिया को अलविदा किये पूरे एक साल हो गए। 7 जुलाई 2021 को मुंबई के पी.डी हिंदुजा हॉस्पिटल में दिलीप कुमार ने अपनी आखिरी सांसें ली थी। दिलीप कुमार की मौत से हिंदी सिनेमा जगत को गहरा झटका लगा था। हिंदी फिल्म जगत को दिलीप साहब ने एक से बढ़कर एक शानदार फ़िल्में दी और उन्होंने सालों तक करोड़ो लोगों के दिलों पर राज किया। दिलीप साहब न सिर्फ सिनेमा जगत का एक बड़ा सितारा थे बल्कि असल जिंदगी में भी वो एक बेहतरीन इंसान थे। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं दिलीप साहब की जिंदगी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।

राज कपूर की खोज थे दिलीप कुमार

बेहद कम लोग जानते हैं कि दिलीप कुमार को फिल्म इंडस्ट्री में लाने का श्रेय राज कपूर को जाता है। दरअसल, दिलीप कुमार और राज कपूर दोनों एक ही साथ कॉलेज में पढ़ा करते थे। जब दिलीप साहब की राज कपूर से दोस्ती हुई तब राज साहब ने उन्हें फिल्मों में काम करने की सलाह दी थी।

फुटबॉलर बनना चाहते थे दिलीप कुमार

दिलीप साहब के बारे में एक दिलचस्प बात ये है कि वो कभी एक एक्टर बनना नहीं चाहते थे। उनकी पहली पसंद और पहला प्यार दोनों ही फुटबॉल थी। दिलीप कुमार एक बेहतरीन फुटबॉलर थे और इसी क्षेत्र में आगे भी बढ़ना चाहते थे। जबकि, उनके पिताजी चाहते थे कि वो शतरंज खेलें और इसी में आगे जाएं।

देविका रानी ने युसूफ खान से बनाया दिलीप कुमार

फुटबॉलर बनने का ख्वाब देखने वाले दिलीप कुमार की किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। दिलीप कुमार उर्फ युसूफ खान ने अपने दोस्त राज कपूर की सलाह मानते हुए बॉम्बे टॉकीज में काम करना शुरू कर दिया। वहीं पर एक्टिंग में एंट्री कराने से पहले बॉम्बे टॉकीज की मालकिन देविका रानी ने उन्हें नया नाम दिलीप कुमार दिया।

सैंडविच स्टॉल चलाते थे दिलीप कुमार

दिलीप कुमार एक बार अपने पिता से झगड़ा करके पुणे चले गए। यहां पर दिलीप कुमार ने एक सैंडविच स्टॉल चलाई थी और ये स्टॉल चलाकर उन्होंने अच्छा बिजनेस किया और करीब 5,000 रुपये कमाकर घर लौटे थे।

घर के कामों में भी एक्टिव थे दिलीप कुमार

दिलीप कुमार की पत्नी सायरा बानो ने अपने एक इंटरव्यू में दिलीप कुमार के बारे में बात करते हुए बताया था कि दिलीप साहब घर के कामों में भी खासा मशगूल रहा करते थे। उन्हें घर के हर छोटे-बड़े काम को करते हुए अपना दिन बिताना पसंद था। दिलीप साहब फ्रिज ठीक करते हुए, जुते की रैख संभालते हुए जैसे कामों में अपना सारा वक्त बिता देते थे।

फिल्मफेयर अवॉर्ड्स के बादशाह थे दिलीप कुमार

साल 1954 में पहली बार फिल्मफेयर अवॉर्ड्स का आयोजन हुआ था। दिलीप कुमार उस दौर में ये अवॉर्ड जीतने वाले पहले हीरो थे। इसके बाद तो फिल्मफेयर में दिलीप कुमार का मानों दबदबा कायम हो गया था। लगातार तीन साल (1956-1958) तक दिलीप साहब को बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला था। दिलीप कुमार ने अपने फ़िल्मी सफ़र में कुल 8 बार फिल्मफेयर अपने नाम किये थे। इस मामले में दिलीप कुमार की बराबरी अबतक सिर्फ शाहरुख खान ही कर सके हैं।

दिलीप कुमार को मिला था पाकिस्तान का सर्वोच्च सम्मान

आपको बता दें कि दिलीप कुमार ऐसे पहले भारतीय थे जिन्हें पाकिस्तान ने अपने सर्वोच्च सम्मान निशान-ए-इम्तियाज से साल 1988 में नवाजा था। दिलीप साहब के लिए जितना प्यार और सम्मान भारत में था उतना ही प्यार और सम्मान पाकिस्तान में भी था। दिलीप साहब के बारे में कहा जाता है कि वो अकेले ऐसे इंसान थे जो भारत-पाकिस्तान को एकदूसरे के करीब लाने का दम-खम रखते थे।