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#Dilip Kumar: अंग्रेज़ों के खिलाफ भाषण देने पर जेल गए थे दिलीप कुमार, उनके बनाये सैंडविच भी थे काफ़ी मशहूर, जानें उनके कुछ अनसुने किस्से

Dilip Kumar: 40 के दशक में जब दिलीप कुमार ने फिल्मों में कदम नहीं रखा था तब दिलीप कुमार पैसा कमाने का ज़रिया ढूंढ रहे थे। एक बार तो वो झगड़ा कर घर से भागकर पुणे चले गए और ब्रिटिश आर्मी कैंटीन में काम करने लगे। इस दौरान कैंटीन में उनके बनाए सैंडविच काफ़ी मशहूर हुआ करते थे। ये वो दौर था जब देश आज़ादी नहीं हुआ था। उस वक्त देश में अंग्रेज़ों का राज हुआ करता था।

नई दिल्ली। बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार का निधन हो गया है। उन्होंने मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में 7 बजकर 30 मिनट पर आखिरी सांस ली। दिलीप कुमार बीते काफी समय से बीमार चल रहे थे जिसके कारण कई बार उन्हें पहले भी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहीं अब उनके निधन के बाद बॉलीवुड जगत में गम का माहौल है। बता दें, दिलीप कुमार ने अपने करियर में कई बहतरीन फिल्में की है जिनके गाने और डायलॉग आज भी लोगों की जुबान पर हैं। बतौर अभिनेता दिलीप कुमार से जुड़े क़िस्सों और घटनाओं की भरमार है लेकिन एक्टिंग से परे उनकी ज़िंदगी भी कई दिलचस्प किस्सों से भरी हुई थी।

फ़िल्मों से पहले ढूंढ रहे थे पैसा कमाने का ज़रिया

40 के दशक में जब दिलीप कुमार ने फिल्मों में कदम नहीं रखा था तब दिलीप कुमार पैसा कमाने का ज़रिया ढूंढ रहे थे। एक बार तो वो झगड़ा कर घर से भागकर पुणे चले गए और ब्रिटिश आर्मी कैंटीन में काम करने लगे। इस दौरान कैंटीन में उनके बनाए सैंडविच काफ़ी मशहूर हुआ करते थे। ये वो दौर था जब देश आज़ादी नहीं हुआ था। उस वक्त देश में अंग्रेज़ों का राज हुआ करता था। एक दिन पुणे में दिलीप कुमार ने भारत की आजादी को लेकर स्पीच भी दे डाली। अपनी स्पीच में दिलीप कुमार ने भारत की आजादी के खिलाफ लड़ाई को जायज़ बताते हुए ब्रिटिश शासक गलत हैं कहा था। फिर क्या था इस भाषण के लिए उन्हें जेल भेज दिया गया जहां कई सत्याग्रही बंद थे। जेल जाने की इस बात का जिक्र उन्होंने अपनी किताब ‘दिलीप कुमार – द सब्सटांस एंड द शैडो’ में भी किया है। किताब में दिलीप कुमार लिखते हैं, “फिर क्या था, ब्रिटेन विरोधी भाषण के लिए मुझे येरवाड़ा जेल भेज दिया गया जहां कई सत्याग्रही बंद थे।” “तब सत्याग्रहियों को गांधीवाले कहा जाता था। दूसरे क़ैदियों के समर्थन में मैं भी भूख हड़ताल पर बैठ गया। सुबह मेरे पहचान के एक मेजर आये तो मैं जेल से छूटा। मैं भी गांधीवाला बन गया था।”

Dilip Kumar

गौरतलब हो कि भारतीय सिनेमा जगत  के ट्रेजडी किंग कहे जाने वाले दिलीप कुमार अपने पांच दशक से भी लंबे समय के करियर में दर्जनों ब्लॉकबस्टर फिल्में दे चुके हैं। बात अगर उनकी साल 1944 में आई फिल्म ‘ज्वार भाटा’ की करें तो ये वो फिल्म थी जिससे उन्होंने अपने करियर की शुरूआत की थी। इस फिल्म के बाद उन्होंने एक के बाद एक कई ब्लॉकबस्टर फिल्में दी। दिलीप कुमार ने साल 1998 में फिल्म ‘किला’ की जो उनकी आखिरी फिल्म थी। यहां ये याद दिला दें कि दिलीप कुमार का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे अधिक पुरस्कार जीतने वाले भारतीय अभिनेता के तौर पर दर्ज है। दिलीप कुमार के नाम सर्वोत्तम अभिनेता के फिल्मफेयर पुरस्कार भी हैं।