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Rajamouli: राजामौली ने खुद को माना “नास्तिक” बोले मैं अब धर्म से दूर रहता हूं

Rajamouli: राजामौली खुद हिन्दू धर्मग्रंथों की चर्चा विदेश में दिए गए इंटरव्यू में करते थे, जिसके बाद उन्हें एक ऐसा डायरेक्टर माना जाने लगा जो हिन्दू धर्म को बढ़ाने का और संस्कृति को बढ़ाने का काम करता है। लेकिन हाल ही में राजामौली ने द न्यूयॉर्कर से बात करते हुए कुछ ऐसा कह दिया जिसने सभी को चौंका दिया है।

नई दिल्ली। राजामौली की फिल्म आरआरआर दर्शकों को खूब पसंद आई। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कमाई के साथ दर्शकों के दिलों में भी जगह बनाई। आरआरआर फिल्म को सिर्फ भारत में नहीं बल्कि देश के बाहर विदेश में भी खूब प्रशंसा मिली। हाल ही में इस फिल्म के प्रसिद्ध गाने नाटू-नाटू को अटूट प्रशंसा मिली। राजामौली की फिल्म आरआरआर और बाहुबली दोनों को ही एक ऐसी फिल्म माना जाने लगा जो हिन्दू धर्म को सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेश में भी फलीफूत कर रही थी। राजामौली खुद हिन्दू धर्मग्रंथों की चर्चा विदेश में दिए गए इंटरव्यू में करते थे, जिसके बाद उन्हें एक ऐसा डायरेक्टर माना जाने लगा जो हिन्दू धर्म को बढ़ाने का और संस्कृति को बढ़ाने का काम करता है। लेकिन हाल ही में राजामौली ने द न्यूयॉर्कर से बात करते हुए कुछ ऐसा कह दिया जिसने सभी को चौंका दिया है।

राजामौली पिछले कुछ महीनों से बहुत से इंटरव्यू दे रहे हैं। इसी सिलसिले में हाल ही में उन्होंने “द न्यूयॉर्कर” को इंटरव्यू दिया। इस इंटरव्यू में उन्होंने आरआरआर फिल्म के बारे में बातचीत किया। इसी इंटरव्यू में उन्होंने धर्म को लेकर कुछ ऐसा बयान दे दिया जो इस वक़्त विवाद का विषय बन गया है और दर्शक लगातार राजामौली पर अपना रोष प्रकट कर रहे हैं। राजामौली ने हाल ही में दिए गए एक इंटरव्यू में खुद को नास्तिक माना है। उनका कहना है कि वो अब धर्म से दूर रहते हैं क्योंकि अब उन्हें ऐसा लगता है कि धर्म सिर्फ शोषण के लिए होता है।

द न्यूयॉर्कर से बात करते हुए जब पूछा गया कि क्या आप नास्तिक हैं तो राजामौली ने कहा “बिल्कुल हां। इसके अलावा मैं अपने व्यक्तिगत विश्वास को दर्शकों पर थोपना नहीं चाहता हूं मैं नहीं चाहता हूं कि मेरे व्यक्तिगत विचार फिल्म में दर्शकों को देखने को मिले।” इसके अलावा नास्तिकता पर बात करते हुए उन्होंने कहा, “मेरा बहुत बड़ा परिवार है और उसमें बहुत से लोग धार्मिक हैं और धर्म में रूचि है। मैं जब युवा था तब मुझे हिन्दू देवी देवताओं की कहानियों पर शक होता था। मुझे वो सब असल नहीं लगती थी। मैंने बहुत से धार्मिक ग्रंथ को पढ़ा, कई धार्मिक स्थानों पर गया, भगवा कपड़े पहने और काफी समय तक सन्यासी का जीवन जिया। मैं उसके बाद चर्च भी गया और मैंने बाइबिल भी पढ़ा। धीरे-धीरे इन सब बातों ने मुझे महसूस कराया कि धर्म एक शोषण की तरह है।”

मैंने इसके बाद कई नॉवेल पढ़ा, और धीरे-धीरे मैंने धर्म से दूर होना शुरू कर दिया। मेरा महाभारत और रामायण की कहानियों के प्रति प्रेम कम नहीं हुआ। लेकिन मैंने धार्मिक ग्रंथों से दूर रहना शुरू कर दिया। भले ही मैं धार्मिक ग्रंथो से दूर रहने लगा लेकिन उन कहानियों की महानता मेरे अंदर बनी रही और मेरी फिल्मों में जो दिखता है वो उन्हीं कहानियों से जुड़ा हुआ दिखता है।