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Rashtra Kavach Om Movie Review: एक्शन से भरपूर फिल्म, कहानी लेवल पर आकर हुई फेल, और नहीं दिखा सकी एक्टिंग में भी कुछ ख़ास दम

Rashtra Kavach Om Movie Review: एक्शन से भरपूर फिल्म, कहानी लेवल पर आकर हुई फेल, और नहीं दिखा सकी एक्टिंग में भी कुछ ख़ास दम , फिल्म का स्क्रीनप्ले और संवाद बहुत ही सामान्य हैं। ऐसी फिल्में आपने कई बार देखीं होंगी और यहाँ आपके पास, देखने के लिए कुछ नया नहीं है।

नई दिल्ली : फिल्म राष्ट्र कवच ओम, थिएटर में रिलीज़ हो चुकी है और इस फिल्म का डायरेक्शन कपिल वर्मा ने किया है। फिल्म के आने से पहले, इसके काफी चर्चे थे। ट्रेलर देखकर ऐसा लग रहा था कि यह एक अच्छी कहानी होगी पर फिल्म में एक्शन तो अच्छा है पर कहानी उतनी अच्छी नहीं है। कोई भी फिल्म हो, आप उससे तब ही जुड़ते हैं, जब उस फिल्म की कहानी, आपके दिल और दिमाग में बैठ जाती है। जो फिल्म बेहतरीन होती हैं, उनकी चर्चाएं आप थिएटर से लौटने के बाद भी करते हैं, पर ये फिल्म ऐसी है जिसकी चर्चा तो दूर थिएटर से निकलने के बाद आप इसे याद भी रखना नहीं चाहेंगे । किसी भी फिल्म में, कहानी को नये और रचनात्मक अंदाज़ से कहा गया हो तब तो ऑडिएंस उसका लुत्फ़ उठाती है पर अगर फिल्म में सबकुछ सिर्फ कहने के लिए कहा गया हो, तो ऑडियंस बोर हो जाती है।

कहानी क्या है

राष्ट्र कवच ओम, एक एक्शन फिल्म है जिसमें आदित्य रॉय कपूर, जैकी श्रॉफ, आशुतोष राणा, प्राची शाह और संजना सांघी मुख्य भूमिका में हैं। आशुतोष राणा, जैकी श्रॉफ ने एक दूसरे के भाई का किरदार निभाया है। जहाँ दोनों के किरदार का नाम जय राठौड़ और देव राठौड़ है। दोनों के बेटे भी हैं, जिनमें से एक बेटा ओम है, जो आर्मी में हैं जिसका किरदार, आदित्य रॉय कपूर ने निभाया है इसके अलावा, जैकी श्रॉफ की टीम में, मूर्ती नाम का किरदार भी है, जिनकी भूमिका, प्रकाश राज ने निभाई है। अब इसमें एक डिफेंस सिस्टम बनाने का काम देव राठौड़ को सौंपा जाता है, लेकिन उनका बीच में ही किडनैप हो जाता है। इसके अलावा ओम यानी आदित्य रॉय कपूर, जब आर्मी में भर्ती होते हैं तब उन्हें एक बड़ा टास्क और मिशन दिया जाता है और अंत में फिल्म में, देशद्रोही कौन है और देश भक्त कौन है इस बात का पता चलता है।

फिल्म कैसी है

अगर फिल्म की राइटिंग की बात करें, तो इसे राज सलूजा और निकेत पांडेय ने लिखा है। फिल्म का स्क्रीनप्ले और संवाद बहुत ही सामान्य हैं। ऐसी फिल्में आपने कई बार देखीं होंगी और यहाँ आपके पास, देखने के लिए कुछ नया नहीं है। फिल्म जरूर तेज़ चलती है जिससे आप बोर न हों, पर फिल्म में इतना कुछ हो रहा होता है कि आप कंफ्यूज भी हो जाते हैं। फिल्म में कुछ भी, कभी भी हो रहा होता है, हालांकि उसका जस्टिफिकेशन देने की कोशिश की भी गयी है जिससे आप सहमत तो हो सकते हैं, पर वो यथार्थ, नही लगता है। हम कह सकते हैं, फिल्म में ख़ास दम नहीं है हाँ कुछ डायलाग हैं जो सुनने में अच्छे लगते हैं। फिल्म के डायरेक्शन की बात करें तो कपिल वर्मा का डायरेक्शन तो अच्छा है पर वह पब्लिक खींच ले, ऐसा नहीं है। फिल्म के संगीत सामान्य से भी सामान्य हैं। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर इतना बेकार है कि, कभी कभी आपको लगता है “बंद करो भाई”। अगर एक्टिंग की बात करें, तो आदित्य रॉय कपूर की भूमिका अच्छी है हालांकि उन्हें ऐसे किरदार निभाने को दिया गया है जो एक साथ दस लोग को, अकेले मार सकता है जो उन पर उतना जचता नहीं है, पर उन्होंने एक्शन सीन को, ठीक ढंग से निभाया है। काव्या के रूप में संजना सांघी का काम बहुत सामान्य है पर आशुतोष राणा और प्रकाश राज ने बेहतरीन काम किया है। जो भी कहें फिल्म बहुत सामान्य है जिनके समकक्ष आपने कई फिल्म देखीं होंगी।