नई दिल्ली। अपने वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव को कांग्रेस आलाकमान ने छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से चंद महीने पहले डिप्टी सीएम बना दिया। इससे पहले ये चर्चा होती रहती थी कि भूपेश बघेल और सिंहदेव के बीच ढाई-ढाई साल तक सीएम पद के बंटवारे की बात थी। हालांकि, सिंहदेव ने इसका न तो खंडन किया और न ही कभी पुष्टि की। अब कांग्रेस ने उनको भूपेश बघेल का डिप्टी बना दिया है, लेकिन सिंहदेव को ऐसे ही कांग्रेस ने डिप्टी सीएम का पद नहीं दिया। इसके पीछे चुनाव का बड़ा गणित तो है ही, विपक्षी बीजेपी का भी अहम फैक्टर है।
दोनों ही वजहों के बारे में आपको बताते हैं। दरअसल, छत्तीसगढ़ का सरगुजा संभाग राज्य में सत्ता हासिल करने की चाबी माना जाता है। टीएस सिंहदेव इसी सरगुजा के राज परिवार के हैं। सरगुजा संभाग में 6 जिले हैं और इन जिलों में विधानसभा की 14 सीटें हैं। इन सभी 14 सीटों पर टीएस सिंहदेव की जबरदस्त पकड़ है। 2018 के चुनाव में उन्होंने सरगुजा संभाग की इन 14 सीटों पर कांग्रेस को जीत दिलाई थी। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले इसी वजह से टीएस सिंहदेव को मनाने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने उनको डिप्टी सीएम का पद दिया है। ताकि सिंहदेव रुष्ट न हों और उनकी नाराजगी कांग्रेस पर भारी न पड़ जाए।
वहीं, बीजेपी का फैक्टर भी कांग्रेस के लिए चिंता का विषय बन गया था। दरअसल, टीएस सिंहदेव ने बीती 13 जून को ही सार्वजनिक तौर पर कहा था कि दिल्ली में मोदी सरकार के बड़े मंत्रियों से उनकी मुलाकात हुई है। सिंहदेव ने ये भी बताया था कि उनको बीजेपी में जाने का ऑफर दिया गया है। हालांकि, उन्होंने ये भी साफ किया था कि कांग्रेस छोड़कर कमल को थामने का उनका कोई इरादा नहीं है। इससे पहले उन्होंने सचिन पायलट के अनशन का भी समर्थन किया था। माना जा रहा है कि सिंहदेव के इस रुख के बाद कांग्रेस आलाकमान में खलबली मची और इसके नतीजे में सरगुजा के महाराज को अहम पद सौंपकर मनाने की कवायद की गई।