नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा अदालत की अवमानना मामले में दोषी करार दिये गए जाने-माने वकील प्रशांत भूषण को लेकर ब्यूरोक्रेट्स और बुद्धिजीवियों की राय आपस अलग-अलग नजर आ रही है। बता दें कि प्रशांत भूषण को दोषी करार दिया गया है और उनपर फैसला 20 अगस्त को आना है। उससे पहले करीब 3000 लोगों ने प्रशांत भूषण के समर्थन में हस्ताक्षर किए। इन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसले को खारिज करने की अपील की।
इस हस्ताक्षर अभियान के जवाब में अब 15 पूर्व जजों समेत 103 लोगों ने पत्र जारी किया है। इसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आपत्ति जताना सही नहीं है। 15 पूर्व जजों समेत 103 लोगों ने जो पत्र जारी किया है उसमें उन लोगों की आलोचना की गई है, जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हैं।
पत्र में कहा गया है कि प्रशांत भूषण को अवमानना का दोषी करार दिए जाने के बाद कई ऐसे लेख लिखे गए, जिसमें शीर्ष कोर्ट पर सवाल उठाए गए हैं। ‘न्यायिक जवाबदेही और सुधार के लिए अभियान’ (CJAR) ने तो फैसले की निंदा तक कर डाली और इस पर पुनर्विचार की मांग की। पत्र में कहा गया है कि ऐसी मांगें उचित नहीं हैं।
पत्र में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सीजेएआर और कुछ अन्य दबाव समूहों द्वारा निंदा अत्यधिक आपत्तिजनक और अस्वीकार्य है। हम देश के संबद्ध नागरिक, ऐसे लोगों के समूह द्वारा इस तरह की बयानबाजी से चिंतित हैं। पत्र लिखने वालों में मुंबई हाईकोर्ट के पूर्व जीफ जस्टिस केआर व्यास, सिक्किम हाईकोर्ट के पूर्व जीफ जस्टिस पी. कोहली, गुजरात हाईकोर्ट के पूर्व जीफ जस्टिस एसएम. सोनी और इलाहाबाद हाईकोर्ट की पूर्व जीफ जस्टिस विजय लक्ष्मी शामिल हैं
List of Signatory Final-con… by Saad Bin Omer on Scribd
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को प्रशांत भूषण को दो ट्वीट के आधार पर अदालत की अवमानना का दोषी करार दिया था। जस्टिस अरूण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने यह फैसला सुनाया है। इस मामले में 20 अगस्त को सजा पर सुनवाई होगी।