नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के ऐलान के बाद सोमवार को संसद की शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन तीनों कृषि बिल निरस्त हो गए। जिसके बाद विपक्षी समेत कई किसान संगठनों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया। सरकार के इस ऐलान के बाद अब विपक्ष के पास किसान आंदोलन का मुद्दा भी खत्म हो गया। चूंकि अगले साल उत्तर प्रदेश, पंजाब समेत 5 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में मोदी सरकार ने विपक्ष से यह मुद्दा भी छीन लिया। वहीं अब संसद से कृषि बिल निरस्त होने के बाद अब किसान संगठनों में फूट पड़ती दिखाई दे रही है। दरअसल बुधवार 1 दिसंबर यानी आज दिल्ली के सिंधु बॉर्डर पर 40 किसान संगठनों की बड़ी बैठक होने वाली थी। लेकिन अब अचानक ये बैठक कैंसल कर दी गई है। बता दें कि मंगलवार को सरकार ने MSP से संबंधित मुद्दों पर बात करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा से 5 प्रतिनिधियों के नाम मांगे हैं। किसानों ने खुद इसका दावा किया।
बताया जा रहा है कि इस बैठक में किसानों की घर वापसी और एमएसपी कमेटी के गठन के प्रस्ताव पर चर्चा होनी थी। मगर इसी बीच जानकारी मिली है कि किसान संगठनों के बीच फूट पड़ गई है और पंजाब के अधिकांश किसान आंदोलन खत्म करने के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि पूर्व घोषणा अनुसार हालात के मद्देनजर किसान आंदोलन के आगे के कदमों के बारे में निर्णय लेने के लिए आगामी बैठक 4 दिसंबर को होगी।
आपको बता दें कि यह बैठक पहले 4 दिसंबर को होनी थी, लेकिन बीच में 1 दिसंबर की तारीख का ऐलान हो गया। जिसको लेकर लगातार संशया बना हुआ था, क्योंकि 1 दिसंबर की तारीख का ऐलान किसी किसान नेता ने नहीं किया था, बल्कि मीडिया में ये खबर कई दिनों से सुर्खियों में बनी हुई थी। मगर हैरान करने वाली बात यह है कि कई दिनों तक संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने इसका निराधार तक नहीं किया।
बता दें कि कृषि कानूनों के विरोध की अलख पहले पंजाब के किसानों ने जलाई थी जिसके बाद इसके लपटे हरियाणा और दिल्ली तक पहुंच गई। जिसके बाद इस आंदोलन को विराट रूप प्रदान करने के लिए दिल्ली, हरियाणा और पंजाब किसानों ने अपना सर्वत्र न्योछावर कर दिया। इसके बाद तो ये आंदोलन पूरे देश में पहुंच गया। बहरहाल, तकरीबन एक वर्ष से चले आ रहे किसानों के आंदोलन को ध्यान में रखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया गया, लेकिन अभी-भी यह किसान भाई घर जाने को राजी नहीं हैं। अब ये एमएसपी समेत अन्य मांगों के साथ आंदोलन को व्यापक रूप प्रदान करने में जुट चुके हैं। अब ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार क्या तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद किसानों की अन्य मांगों पर विचार करती है की नहीं।