नई दिल्ली। कोई गुरेज नहीं यह कहने में कि बीजेपी के लिए यह चिंतन- मंथन का विषय है कि जिस सूबे में खुद पीएम मोदी ने एक नहीं, दो नहीं, तीन भी नहीं, बल्कि पूरे 19 मर्तबा दौरा किया और ना जाने कितने ही रोड शो और जनसभा किए। प्रचार करने खुद अमित शाह पहुंचे। इतना ही नहीं बीजेपी के फायरब्रांड नेता और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी कर्नाटक भेजा गया, लेकिन इसके बावजूद भी कर्नाटक की जनता ने बीजेपी को भाव नहीं दिया। आखिर क्यों? सवाल वाजिब है, लेकिन जवाब किसी के पास नहीं है। बीजेपी भी यह बताने की स्थिति में नहीं है कि आखिर कैसे उस कांग्रेस ने 38 साल बाद उन्हें हार का स्वाद चखा दिया, जो कि अभी विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए भी जद्दोजहद कर रही है।
उस कांग्रेस ने उन्हें सूबे से आउट कर दिया है, जो खुद अभी अपने वजूद को महफूज करने की जद्दोजहद कर रही है। यकीनन इन सवालों के जवाब बीजेपी को गंभीरता से तलाशने होंगे….वो भी आगामी लोकसभा चुनाव से पूर्व….नहीं तो पार्टी को लेने के देने पड़ सकते हैं….वैसे भी यह लोकतंत्र है। यहां जनता का मिजाज अच्छे-अच्छे सियासी सूरमा नहीं भांप पाते हैं, तो बीजेपी को तो अभी बहुत मेहनत करने की आवश्यकता है। हालांकि पार्टी ने गंभीरता से कर्नाटक में हुई अपनी पराजय पर समीक्षा करने के लिए समिति का गठन किया है। आज पार्टी बैठक में भी इस पराजय पर गंभीरता से विचार-विमर्श किया गया। इसके अलावा पार्टी की तरफ से हार की समीक्षा के लिए एक समिति का भी गठन किया गया है। पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने समीक्षा रिपोर्ट भी मांगी है।
उधर, कर्नाटक में मिली जीत से कांग्रेस उत्साहित है। प्रियंका गांधी ने इस जीत का श्रेय अपने भाई राहुल गांधी को दिया है। सीएम पद के दावेदार माने जा रहे सिद्धारमैया ने तो उनके पीएम बनने तक की भविष्यवाणी कर दी है। वहीं, कर्नाटक में हुई जीत पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा था कि यह पूंजीवादियों की हार है और आम आदमी की जीत है। इस जीत की वजह से कांग्रेस में उत्साह का संचार हुआ है। वहीं इस बीच बीजेपी नेता अमित मालवीय ने ट्वीट राहुल गांधी पर तंज कसा है। उन्होंने ट्वीट कर कुछ ऐसा कहा है, जिसकी अभी खूब चर्चा हो रही है।
Irony died a million times when Robert Vadra started giving exclusives to media channels just when Rahul Gandhi declared that Congress’s Karnataka win was a defeat of ‘crony capitalists’…
But ‘शक्ति ने ताक़त को हरा दिया’ took the cake. ?♂️
Is keeping Rahul Gandhi away the new… pic.twitter.com/bCJrHZGT9e
— Amit Malviya (@amitmalviya) May 14, 2023
दरअसल, अमित मालवीय ने ट्वीट कर कहा कि विडंबना यह है कि लाखों बार रॉबर्ट वाड्रा ने मीडिया चैनलों को एक्सक्लूसिव देना शुरू कर दिया, जब राहुल गांधी ने घोषणा की कि कांग्रेस की कर्नाटक जीत ‘क्रोनी कैपिटलिस्ट्स’ की हार है…लेकिन ‘शक्ति ने ताकत को हरा दिया’ ने केक ले लिया। क्या राहुल गांधी को दूर रखना नया खाका है? ऐसा लगता है कि उसने हिमाचल से लेकर कर्नाटक तक कांग्रेस के लिए काम किया है! बता दें कि इससे पहले हिमाचल चुनाव में कांग्रेस ने राहुल गांधी को प्रचार करने नहीं भेजा था, जिस पर बीजेपी ने तंस कसते हुए कहा था कि अगर राहुल को कांग्रेस ने प्रचार के लिए हिमाचल भेज दिया होता, तो पार्टी को हार झेलनी पड़ती, लेकिन कांग्रेस ने राहुल को हिमाचल में प्रचार के लिए नहीं भेजकर समझदारी दिखाई, लेकिन मगर आपको बता दें कि कर्नाटक में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने 21 दिन बिताए थे, जिसे गत चुनावी नतीजों के दिन कांग्रेस ने राहुल के लिए बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश किया। हालांकि, कर्नाटक में चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस के समक्ष दूसरी चुनौती यह है कि सूबे की कमान किसे सौंपी जाए। बता दें कि इस रेस में दो लोगों के नाम आगे हैं, जिसमें पहला नाम प्रदेश कांग्रेस अध्य़क्ष डीके शिवकुमार और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया हैं। सीएम पद को लेकर दोनों के बीच पोस्टर वॉर भी छिड़ चुका है। अब पार्टी की ओर से किसे सूबे की कमान सौंपी जाती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।