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Muscle Flexing: कॉमन सिविल कोड नहीं मंजूर, जानिए AIMPLB ने अब मोदी सरकार को किस तरह दी धमकी

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मोदी सरकार को एक तरह से धमकी देते हुए साफ कर दिया है कि किसी सूरत में देश में कॉमन सिविल कोड को मंजूर नहीं किया जाएगा।

लखनऊ। मुसलमानों के लिए तमाम नियम कायदे बनाने वाले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड AIMPLB ने मोदी सरकार को एक तरह से धमकी देते हुए साफ कर दिया है कि किसी सूरत में देश में कॉमन सिविल कोड को मंजूर नहीं किया जाएगा। बोर्ड ने इसके साथ ही सरकार से ईशनिंदा के खिलाफ कानून बनाने की मांग भी की है। बोर्ड की लखनऊ में हुई बैठक में ये प्रस्ताव पास किए गए। बोर्ड ने नदवतुल उलमा के चेयरमैन मौलाना राबे हसनी नदवी को एक बार फिर अपना प्रमुख भी चुना है। बोर्ड की बैठक में एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी हिस्सा लिया। ओवैसी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य भी हैं। बोर्ड ने अपनी बैठक में दो अहम प्रस्ताव पास किए। पहला तो ये कि किसी भी सूरत में कॉमन सिविल कोड को मंजूर नहीं किया जाएगा। दूसरा कि ईशनिंदा के खिलाफ केंद्र सख्त कानून बनाए। बता दें कि बीते दिनों शिया नेता वसीम रिजवी ने पैगंबर के बारे में विवादित बातों वाली किताब जारी की थी। वसीम ने खुद की मौत के बाद हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार कराने की इच्छा भी जताई थी। इसी के मद्देनजर बोर्ड ने मोदी सरकार से ईशनिंदा के खिलाफ कानून बनाने की मांग की है।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड हमेशा ही कॉमन सिविल कोड के खिलाफ रहा है। बोर्ड का कहना है कि किसी भी सूरत में मुसलमानों के लिए बने नियम कायदों से समझौता नहीं किया जा सकता। बता दें कि कॉमन सिविल कोड लागू होने पर मुसलमानों समेत सभी धर्मों के लिए शादी वगैरा के नियम एक जैसे हो जाएंगे। इसी का बोर्ड लगातार विरोध करता है। अभी मुसलमानों में शादी इस्लामी नियम कायदों के मुताबिक होती है।

कॉमन सिविल कोड की बात करें, तो संविधान के नीति निर्देशक तत्वों में इसे भी शामिल किया गया है। यानी सरकार से कहा गया है कि कॉमन सिविल कोड को लागू करने की दिशा में वो कदम उठाएगी। सुप्रीम कोर्ट भी कई बार केंद्र सरकार से इस बारे में कदम उठाने के लिए कह चुका है। बीते दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी केंद्र से कॉमन सिविल कोड लागू करने के लिए कहा है। केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी भी अपने राजनीतिक एजेंडे में इसकी बात करती है।