newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Ajab-Gazab News: देश के इस कोने में दिवाली के दिन मनाया जाता है मातम, जानिए क्या है ये अजीबोगरीब रिवाज?

Ajab-Gazab News: पूरे भारत वर्ष में इस दिन को काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन देश में ही एक ऐसा समुदाय है जिसकी दिवाली मनाने के तरीके के बारे में सुनकर आपको काफी हैरानी होगी। ये समुदाय दिवाली के दिन जश्न नहीं बल्कि शोक मनाता है।

नई दिल्ली। दीपावली हिंदुओं का सबसे प्रमुख त्योहार माना जाता है। इस दिन भगवान राम अपना वनवास पूरा करके अयोध्या वापस लौटे थे। उनके लौटने की खुशियों में दिये जलाकर अयोध्यावासियों ने जश्न मनाया था। उसी प्रथा को जारी रखते हुए आज दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। पूरे भारत वर्ष में इस दिन को काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन देश में ही एक ऐसा समुदाय भी है, जिसकी दिवाली मनाने के तरीके के बारे में सुनकर आपको काफी हैरानी होगी। ये समुदाय दिवाली के दिन जश्न नहीं बल्कि शोक मनाता है। जी हां, बिल्कुल सही पढ़ा आपने उत्तराखंड में निवास करने वाले ये लोग दिवाली पर मातम मनाते हुए दीपावली का त्योहार मनाते हैं। इस जनजाति का नाम थारू है, जो उत्तराखंड से लेकर बिहार तक के तराई इलाकों में निवास करती है।

इस जनजाति के कुछ लोग नेपाल में भी रहते हैं। नेपाल में इनकी जनसंख्या 15 लाख के करीब है तो वहीं, भारत में 1,70,000 से अधिक थारू जनजाति के लोग निवास करते हैं। थारू जनजाति के लोग राजस्थान के राजपूतों के वंशज माने जाते हैं। कहा जाता है कि इस जनजाति का नाम थार रेगिस्तान के नाम पर पड़ा है। थारू जनजाति के लोग दिवाली को ‘दिवारी’ के नाम से बुलाते हैं। इस दिन एक पुतला तैयार करके दिवारी के दिन उसे जलाते हैं। साथ ही अपने रिश्तेदारों को भोज के लिए भी आमंत्रित करते हैं।

उनके ऐसा करने का मुख्य कारण ये है कि वो इस दिन अपने स्वर्गवासी परिजनों को याद करते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करके उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। दिवाली के दिन ये लोग अपने उन परिजनों की याद में शोक मनाते हैं, जो दिवाली के आस-पास के दिनों में इस दुनिया को अलविदा कह गए थे। इस दिन लोग बड़ी रोटी (शोक भोज) मनाते हैं।