नई दिल्ली। एनसीपी नेता व शरद पवार के छोटे भाई अजीत पवार ने बीजेपी में शामिल होने के कयासों के बीच चुप्पी तोड़ी है और उन सभी अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें यह कहा जा रहा है कि अजीत पवार अब एनसीपी से रूखसत होकर बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। लिहाजा अजीत ने स्पष्ट कर दिया है कि वो बीजेपी में शामिल होने नहीं जा रहे है, वो आखिरी सांस तक एनसीपी में रहेंगे और एनसीपी के हितों के प्रति प्रतिबद्ध रहेंगे। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि एनसीपी जो कहेगी, मैं वही करूंगा। आइए, अब जान लेते हैं कि आखिर उनके बीजेपी में शामिल होने की चर्चा क्यों शुरू हुई थी?
दरअसल, इसके पीछे दो–तीन वजहें हैं, जिसकी वजह से यह कयास लगने लगे कि अजीत पवार अब बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। दरअसल, बीते दिनों उन्होंने एक कार्यक्रम को संबोधित करने के क्रम में पीएम मोदी की तारीफ कर दी थी और इसके अलावा ईवीएम का भी समर्थन किया था। उन्होंने अपने बयान में विपक्षी दलों से सवाल किया था कि आप लोगों के द्वारा ईवीएम की विश्वनियता को लेकर सवाल उठाना जायज नहीं है। अगर आप ईवीएम द्वारा पेश किए गए नतीजों को गलत मानते हैं, तो आपका उन राज्यों के चुनावी नतीजों को लेकर क्या कहना है, जहां बीजेपी को हार मिली है और आप लोगों को जीत मिली है। उदाहरण के लिए पंजाब में पहले कांग्रेस को जीत मिली और इसके बाद हुए चुनाव में आप ने विजयी पताका फहराया है, तो ऐसी सूरत में ईवीएम की प्रासंगिकता पर सवाल उठाना उचित नहीं है।
बता दें कि इससे पहले शरद पवार ने अदानी प्रकरण को लेकर विपक्षी दलों द्वारा जेपीसी की मांग से अलग सुर अलापा था। उन्होंने कहा था कि जेपीसी में अधिकांश सदस्य सत्तापक्ष के होंगे, तो ऐसे में आप अंतिम निर्णय को अपने हित में नहीं मान सकते हैं। ध्यान रहे कि उनके इस बयान से विपक्षी एकता को चोट पहुंची थी। वहीं, आपको यह बात भी स्वीकार करनी होगी कि शरद पवार और अडानी पुराने मित्र रहे हैं, जिसके बाद उनके इस बयान को मुख्तलिफ पहलू से देखा जाने लगा था। वहीं, इसके अलावा अजीत पवार से बीते दिनों बीजेपी के कई नेता भी मिलने आए थे, जिसके बाद यह कयास तेजी से लगने लगे कि अजीत पवार अब बीजेपी में शामिल हो सकते हैं, लेकिन अब उन्होंने इन सभी कयासों को सिरे से खारिज कर दिया है, तो ऐसे में अब यह बात आइने की तरह साफ हो चुकी है कि वे बीजेपी में शामिल नहीं होने जा रहे हैं, लेकिन इस बात को भी खारिज नहीं किया जा सकता है कि यह राजनीति है और राजनीति में कब क्या हो जाए, कह पाना मुश्किल है, तो ऐसे में किसी भी परिस्थिति को अंतिम नहीं माना जा सकता है।
इसके अलावा उन्होंने महाराष्ट्र की राजनीति में जारी उथल-पुथल को लेकर भी अपनी राय जाहिर की है। उन्होंने शिवसेना पर एकाधिकार को लेकर उद्धव और शिंदे के बीच जारी लड़ाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर छोड़ दिया है। उहोंने स्पष्ट कर दिया है कि आगामी दिनों में इस पूरे मसले को लेकर शीर्ष न्यायालय का जो कुछ भी फैसला आता है, उसे हम सभी स्वीकार करने के लिए बाध्य होंगे। वहीं, बताया जा रहा है कि अजीत पवार के पाले में 30 से 35 विधायक हैं। बहरहाल, अब आगामी दिनों में वो क्या कुछ कदम उठाते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।