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SP: सांसद का पद छोड़ें या विधायकी?: सपा की सीटें बढ़ीं लेकिन अब अखिलेश के सामने बड़ी दुविधा

akhilesh yadav : दरअसल, मौजूदा वक्त में लोकसभा में सपा के महज चार सांसद ही हैं और विधानसभा चुनाव में भी सफलता नहीं मिल पाई है। उधऱ, संवैधानिक नियमों के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति एक साथ विधायक और सांसद के  पद पर काबिज नहीं हो सकता है, उसे किसी एक पद से इस्तीफा देना होगा और वर्तमान में जिस तरह की स्थिति सपा के लिए है, उसे ध्यान में रखते हुए अखिलेश यादव के लिए गवारा रहेगा कि वे अपनी लोकसभा की सीट को महफूज रखे।

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजों से इतना तो साफ हो चुका है कि अब सपा प्रमुख अखिलेश यादव को सत्ता का स्वाद चखने के लिए फिर से पांच साल का इंतजार करना होगा, क्योंकि मोदी-योगी की जुगलबंदी के आगे उनका मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होने का ख्वाब मानो किसी गगनचुंबी इमारत की भांति धराशायी हो गया। सूबे की जनता ने उन्हें नकार दिया और एक बार फिर से योगी आदित्यनाथ के हाथों सत्ता की कमान सौंप दी। सियासी गलियारों में माना जा रहा है कि चुनावी नतीजों को देखकर बेशक अखिलेश यादव  सीटों में आए इजाफे को लेकर जनता का शुक्रिया अदा कर रहे हों, लेकिन अंदर ही अंदर मायूस हो रहे हैं। अब वे मायूस हैं कि खुश। ये तो फिलहाल वही बता सकते हैं, लेकिन अभी उनको लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है।

akhilesh yadav

खबर है कि चुनाव में करारी शिकस्त झेलने के बाद अखिलेश और आजम विधायक पद से इस्तीफा दे सकते हैं। अब अगर आपको सियासत की तनिक भी समझ होगी, तो आपके जेहन में बार-बार ये सवाल उठ रहा होगा कि आखिर अखिलेश और आजम क्यों अपने इस्तीफा दे सकते हैं। दरअसल, मौजूदा वक्त में दोनों ही लोकसभा सीट पर भी काबिज हैं। वहीं, अखिलेश को पूरी उम्मीद थी कि इस बार सूबे में उनकी सरकार आ सकती है, लेकिन अफसोस ऐसा हुआ नहीं। उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। हालांकि, अगर वे चुनाव जीतने में सफल भी रहते, तो इसमें कोई दोमत नहीं कि वे ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज होते, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। अब सवाल यह है कि आखिर इन सभी गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए वे इस्तीफा देने पर क्यों उतारू हो रहे हैं?

Azam Khan Sad

दरअसल, मौजूदा वक्त में लोकसभा में सपा के महज चार सांसद ही हैं और विधानसभा चुनाव में भी सफलता नहीं मिल पाई है। उधऱ, संवैधानिक नियमों के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति एक साथ विधायक और सांसद के  पद पर काबिज नहीं हो सकता है, उसे किसी एक पद से इस्तीफा देना होगा और वर्तमान में जिस तरह की स्थिति सपा के लिए है, उसे ध्यान में रखते हुए अखिलेश यादव के लिए गवारा रहेगा कि वे अपनी लोकसभा की सीट को महफूज रखे, क्योंकि विधायक के पद पर काबिज रहने से भी उनके हाथ कुछ लगने वाला नहीं है। लेकिन हां..अगर उनकी पार्टी चुनाव जीतने में सफल रहती है, तब स्थिति कुछ और रहती, लेकिन अफसोस ऐसा हो नहीं पाया है। वहीं, आजम खान के साथ भी यह नियम लागू होता है। उम्मीद है कि आप इस पूरे माजरे की सियासी स्थिति को भलीभांति समझ गए होंगे। चलिए,  अब आपको थोड़ा फ्लैशबैक में लिए चलते हैं।

azam khan

ध्यान रहे कि अखिलेश यादव ने करहल विधानसभा सीट से चुनाव जीतने में कामयाब रहे। वहीं, यूपी चुनाव में सपा ने 114 सीटों पर जीत का पताका फहराया है। उधर, बीजेपी 250 से भी ज्यादा सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही है। वहीं, कांग्रेस की दुर्गति का अंदाजा आप महज इसी से लगा सकते हैं कि पार्टी की झोली में महज 2 सीटें ही आई हैं। उधर, बसपा को महज 1 सीट से ही संतुष्टि करनी पड़ी है। उधर, चुनाव संपन्न होने के बाद प्रदेश में नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।