newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

BAPS: संयुक्त राष्ट्र संघ के राजदूतों और प्रतिनिधियों ने अमेरिका स्थित अक्षरधाम मंदिर का किया दौरा

BAPS: संध्या सभा में बड़ी संख्या में भक्त, शुभचिंतक और गणमान्य व्यक्ति महंतस्वामी महाराज के असाधारण सेवामय जीवन और शांति की स्थायी विरासत का उत्सव मनाने वाले एक हार्दिक कार्यक्रम के लिए रॉबिंसविले, न्यू जर्सी, बीएपीएस स्वामिनारायण अक्षरधाम में एकत्रित हुए।

न्यू जर्सी। बीएपीएस स्वामिनारायण अक्षरधाम मंदिर ने संयुक्त राष्ट्र के राजदूतों और प्रतिनिधियों के मंडल की मेजबानी की। यह कार्यक्रम 8 अक्टूबर, 2023 को भव्य समर्पण और अक्षरधाम उद्घाटन समारोह से पहले एक सप्ताह तक चलने वाले उत्सव कार्यक्रमों की श्रेणी में अभूतपूर्व था। इस यात्रा में कंबोडिया, इरिट्रिया, ग्रेनेडा, गुयाना, कजाकिस्तान, लाइबेरिया, मलावी, मोरक्को, नेपाल, श्रीलंका, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस, तिमोर लेस्ते, मंगोलिया, दक्षिण अफ्रीका, मालदीव के नेता एक साथ आए। साथ ही इसमें पोलैंड, कोस्टा रिका, ब्राजील, लेबनान, भूटान और संयुक्त राष्ट्र के आतंकवाद निरोधक कार्यालय के प्रतिनिधिमंडल भी शामिल हुए।

कंबोडिया की महामहिम श्रीमती सोफिया ईट, इरीट्रिया की महामहिम सुश्री सोफिया टेसफामरियम, ग्रेनाडा के महामहिम श्री चे आजमू फिलिप, गुयाना की महामहिम श्रीमती कैरोलिन रोड्रिग्स-बिरकेट, कजाकिस्तान के महामहिम श्री अकान रख्मेतुलिन, लाइबेरिया की महामहिम श्रीमती सारा सफ़ीन फ़िनेह, मलावी की महामहिम श्रीमती एग्नेस मैरी चिम्बिरी मोलांडे, मोरक्को के महामहिम श्री उमर हिलाले, नेपाल के महामहिम श्री लोक बहादुर थापा, श्रीलंका के महामहिम श्री मोहन पियरिस, सेंट विंसेंट और ग्रेनाडाइन्स की महामहिम सुश्री इंगा रोंडा किंग, तिमोर लेस्ते के महामहिम श्री कार्लिटो नून्स, मंगोलिया के महामहिम श्री एनखबोल्ड वोर्शिलोव, दक्षिण अफ्रीका की महामहिम सुश्री माथु जोयिनी और मालदीव की राजदूत महामहिम हला हमीद सहित इन सम्मानित राजनयिकों की उपस्थिति ने शांति, एकता और सांस्कृतिक संरक्षण के सार्वभौमिक संदेश को रेखांकित किया जिसका अक्षरधाम प्रतिनिधित्व करता है। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाली भारत की राजदूत रुचिरा कंबोज ने अपने साथी राजदूतों और प्रतिनिधियों को यह अनूठा अवसर प्रदान किया।

भौगोलिक सीमाओं को पार करते हुए और वैश्विक सद्भाव को बढ़ावा देने वाला अक्षरधाम, बीएपीएस के पूर्व  आध्यात्मिक गुरु, प्रमुखस्वामी महाराज के दृष्टिकोण का एक प्रमाण है, और साथ ही यह मंदिर दुनिया भर के 12,5000 से अधिक स्वयंसेवकों द्वारा वर्षों के समर्पित प्रयास की परिणति का प्रतिनिधित्व करता है। 8 अक्टूबर, 2023 को इसका उद्घाटन, हिंदू भारतीय संस्कृति और परंपराओं का सीमाचिह्नरूप होगा, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए शांति, आशा और सद्भाव का संदेश फैलाएगा।अक्षरधाम का भव्य समर्पण समारोह दुनिया भर में विविध समुदायों और राष्ट्रों को जोड़ने वाले शांति और सांस्कृतिक एकता के आदर्शों का उदाहरण होगा। अपने-अपने देशों और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडलों के प्रतिनिधियों के रूप में, उपस्थित लोगों ने वैश्विक समझ और सहयोग को बढ़ावा देने में अंतर-सांस्कृतिक प्रशंसा और आध्यात्मिक सद्भाव के महत्व को स्वीकार किया।

जब श्री मोहन पियरिस (श्रीलंका में संयुक्त राष्ट्र के राजदूत) ने पूछा कि प्रतिनिधिमंडल अन्य नेताओं के साथ क्या संदेश साझा कर सकता है, तब अटलांटा के बीएपीएस स्वयंसेवक कुंज पंड्या ने एक सरल लेकिन सशक्त उत्तर साझा किया। “आप सभी पेशेवर रूप से बाहरी विश्व शांति के लिए प्रयास कर रहे हैं – एक शक्तिशाली प्रयास। लेकिन मुझे लगता है कि विश्व शांति प्राप्त करने के लिए, हमें पहले आंतरिक शांति ढूंढनी होगी। मैं संयुक्त राष्ट्र के प्रत्येक सदस्य को यहाँ अक्षरधाम में आंतरिक शांति का अपना घर खोजने के लिए आमंत्रित करता हूँ ताकि उस लहर को जगाया जा सके और विश्व शांति उत्पन्न की जा सके।”प्रतिनिधिमंडल की यात्रा ने वैश्विक स्तर पर शांति, समझ और सांस्कृतिक संरक्षण को बढ़ावा देने की उनकी प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला, जिन संदेशों और मूल्यों को अक्षरधाम भी रेखांकित करता है।

संध्या सभा में बड़ी संख्या में भक्त, शुभचिंतक और गणमान्य व्यक्ति महंतस्वामी महाराज के असाधारण सेवामय जीवन और शांति की स्थायी विरासत का उत्सव मनाने वाले एक हार्दिक कार्यक्रम के लिए रॉबिंसविले, न्यू जर्सी, बीएपीएस स्वामिनारायण अक्षरधाम में एकत्रित हुए। बीएपीएस के श्रद्धेय आध्यात्मिक गुरु महंतस्वामी महाराज दुनिया भर में अनगिनत व्यक्तियों के लिए एक मार्गदर्शक प्रकाश और प्रेरणा के स्रोत रहे हैं। आध्यात्मिकता, नि:स्वार्थ सेवा और सार्वभौमिक प्रेम के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता ने कितनों के दिलों को छू लिया है और कई लोगों का जीवन बदल दिया है। आर्ष विद्या मंदिर के संस्थापक आचार्य स्वामी परमात्मानंदजी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “मुझे लगभग 48 साल पहले [महंतस्वामी महाराज] से मिलने का सौभाग्य मिला था …मैं उनके साथ रहा। इन सभी वर्षों में, एक बात जो मैंने उनमें देखी, वह यह कि वे हिंदू संस्कृति, हिंदू मूल्यों और हिंदू धर्म के साक्षात मूर्त स्वरूप हैं। बीएपीएस स्वामिनारायण अक्षरधाम के भव्य समर्पण समारोह की पूर्व संध्या पर, महंतस्वामी महाराज के जीवन का यह उत्सव दुनिया भर के व्यक्तियों और समुदायों पर उनके गहरे प्रभाव की याद दिलाता है। आस्था, एकता और नि:स्वार्थ सेवा के मूल्यों के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता अनगिनत आत्माओं को उनकी आध्यात्मिक यात्राओं पर प्रेरित और मार्गदर्शन करती रहती है।