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UP: बीजेपी का अपना दल-निषाद पार्टी से सीटों पर समझौता, सपा के गणित को गड़बड़ाने की तैयारी

बुधवार देर रात तक अनुप्रिया और संजय निषाद के साथ बैठक कर सीटों के बंटवारे पर भी मुहर लगा दी गई है। इस बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ नहीं थे। गृहमंत्री और बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने अनुप्रिया और निषाद से बातचीत के बाद सीट बंटवारे पर मुहर लगा दी।

नई दिल्ली। यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में मची मंत्रियों और विधायकों की भगदड़ के बीच पार्टी को केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की अपना दल-एस और निषाद पार्टी के संजय निषाद का समर्थन अभी बदस्तूर जारी है। इन दोनों दलों को बीजेपी ने अपने पाले में बना रखा है और बुधवार देर रात तक अनुप्रिया और संजय निषाद के साथ बैठक कर सीटों के बंटवारे पर भी मुहर लगा दी गई है। इस बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ नहीं थे। गृहमंत्री और बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने अनुप्रिया और निषाद से देर रात करीब 1 बजे तक बातचीत के बाद सीट बंटवारे पर मुहर लगा दी। इन दोनों के जरिए बीजेपी अब तोड़फोड़ मचा रही समाजवादी पार्टी यानी सपा के इरादों से निपटने की तैयारी कर रही है।

दरअसल, यूपी के पूर्वांचल और मध्य इलाके में विधानसभा की 32 ऐसी सीटें हैं, जिन पर कुर्मी, पटेल, वर्मा और कटियार वोटर निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। पूर्वांचल के कम से कम 16 जिलों में इन वर्गों के वोटरों की संख्या 8 से लेकर 12 फीसदी तक है। इसके अलावा कानपुर, कानपुर देहात और इनके आसपास भी कटियार और वर्मा वोटरों की अच्छी संख्या है। अनुप्रिया के पिता और अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल इन इलाकों के सबसे बड़े कुर्मी नेता माने जाते थे। ऐसे में बीजेपी का साथ देकर अपना दल यूपी चुनावों में पूर्वांचल और मध्य का इलाका उसके लिए सुरक्षित करता दिख रहा है। यूपी में एक कहावत भी है कि जिसने पूर्वांचल जीता, वही सत्ता संभालता है। ऐसे में अनुप्रिया से गठबंधन कर बीजेपी यहां सपा के खिलाफ खुद को मजबूत कर रही है।

अब बात करते हैं निषाद पार्टी की और उसका भी गणित देख लेते हैं। निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद की ताकत 70 विधानसभा सीटों पर है। करीब 14 फीसदी मछुआ या मझवारा समुदाय के लोगों की मदद से आगे बढ़ने वाली निषाद पार्टी भी पूर्वांचल की ज्यादातर सीटों पर अपना असर रखती है। यूपी के जिन जिलों में जीत और हार को निषाद तय करने में अहम भूमिका अदा करते हैं, उनमें सीतापुर, अंबेडकरनगर, जौनपुर, गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़, सुलतानपुर, गोरखपुर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, कुशीनगर, चंदौली, मिर्जापुर, सोनभद्र तो हैं ही। साथ ही पश्चिमी यूपी और बुंदेलखंड की कुछ सीटें भी निषाद पार्टी के गढ़ के तौर पर पहचान रखती हैं। अपना दल और निषाद पार्टी ऐसे में संकट की इस घड़ी में बीजेपी के साथ बनी रहती हैं, तो यूपी का विधानसभा चुनाव जातिगत नजरिए से इस बार बहुत दिलचस्प होने वाला है। साथ ही सपा के गणित को भी ये गठबंधन गड़बड़ा सकता है।