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Ayodhya Ram Temple: अयोध्या में भगवान रामलला के दर्शन करना चाहते हैं तो आपके लिए अहम है ये जानकारी, इन दो तारीखों पर नहीं जा सकेंगे मंदिर

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर बनने का सपना 500 साल से भी पुराना है। यहां के बारे में कहा जाता है कि पहले मुगल बादशाह बाबर के सेनापति मीर बाकी ने राम जन्मभूमि पर बने प्राचीन मंदिर को गिराकर उसकी नींव पर बाबरी मस्जिद बनवा दी थी। हिंदुओं ने इस जगह के लिए तलवारों से लेकर कोर्ट तक जंग लड़ी।

अयोध्या। रामनगरी अयोध्या में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को होनी है। इस वजह से 20 और 21 जनवरी को आम लोग रामलला के दर्शन नहीं कर सकेंगे। इन दोनों तारीखों को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में बुलाए गए अतिथि ही भगवान राम के दर्शन करेंगे। इसके बाद 23 जनवरी से रामलला के दर्शन करने के लिए भक्तों को आसानी होगी। इस तारीख से 4 कतारों में भक्तों को राम मंदिर में प्रवेश मिलेगा और वे पुख्ता सुरक्षा के बीच रामलला के दर्शन का पुण्य उठा सकेंगे। 22 जनवरी को जब पीएम नरेंद्र मोदी राम मंदिर में भगवान रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे, उस वक्त देशभर से तमाम गणमान्य लोग भी मौजूद रहेंगे। 20 से लेकर 22 जनवरी तक अयोध्या में 8000 विशिष्ट अतिथियों के होने का अनुमान है।

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श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा ने मीडिया को बताया कि 20 और 21 जनवरी को जिस जगह अभी रामलला और उनके भाइयों की मूर्तियां हैं, वहां दर्शन चलता रहेगा। इस दौरान विशिष्ट अतिथि ही रामलला के दर्शन कर सकेंगे। अनिल मिश्रा ने आम भक्तों से आक्ह किया है कि वे इन दोनों तारीख को रामलला के दर्शन करने न आएं। इसके अलावा प्राण प्रतिष्ठा समारोह के कारण 22 जनवरी 2024 को भी आम लोगों को राम मंदिर में दर्शन के लिए प्रवेश नहीं मिलेगा। अनिल मिश्रा ने बताया कि 23 जनवरी से आम लोग विधिवत भगवान राम की नई प्रतिमा के दर्शन कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि 23 जनवरी 2024 से हर दिन 1.5 से 2.5 लाख श्रद्धालु भगवान रामलला के दर्शन का पुण्य उठा सकेंगे। सुरक्षा को ज्यादातर तकनीकी वाला बनाया गया है। ऐसे में भक्तों को रामलला के दर्शन के लिए ज्यादा दिक्कत भी नहीं होगी। अनिल मिश्रा ने बताया कि मौजूदा मंदिर में भगवान रामलला के दर्शन के लिए आने वालों की दो कतारें लगवाई जा रही हैं।

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर बनने का सपना 500 साल से भी पुराना है। यहां के बारे में कहा जाता है कि पहले मुगल बादशाह बाबर के सेनापति मीर बाकी ने राम जन्मभूमि पर बने प्राचीन मंदिर को गिराकर उसकी नींव पर बाबरी मस्जिद बनवा दी थी। इस जगह को हासिल करने के लिए हिंदुओं ने तलवारों से लेकर कोर्ट तक जंग लड़ी। सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में फैसला सुनाया कि जगह राम जन्मभूमि की है। इसके बाद यहां भगवान राम का भव्य मंदिर बनने का काम शुरू हुआ।