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Ramakrishna Jayanti: स्वामी के जन्म से पहले माता-पिता को खुद भगवान ने दिए थे दर्शन!, अलौकिक घटनाओं से भरा रहा पूरा जीवन

Ramakrishna Jayanti: उन्होंने अपने पूरे जीवनकाल में सभी धर्मों की एकता पर ही जोर दिया। उन्होंने धर्मों को करीब से जानने के लिए हिंदू, ईसाई और मुस्लिम जैसे धर्मों का अध्ययन किया।

नई दिल्ली। आज भारत के महान स्वामी, संत और विचारक रामकृष्ण परमहंस की जयंती है। विचारक रामकृष्ण परमहंस को उनके विचार,उपदेशों और सभी धर्मों  में एकता कायम करने के लिए जाना जाता है। स्वामी सभी धर्मों को एक ही नजर से देखते थे और लोगों में हमेशा एकता बनाए रखने का उपदेश देते थे। उनका जन्म 18 फरवरी 1836 को पश्चिम बंगाल के कामारपुकुर गांव में हुआ था। उनके माता-पिता का नाम  चंद्रमणि देवी और खुदीराम था। कहा जाता है कि उनके जन्म के समय उनके माता-पिता के साथ कुछ दैवीय घटनाएं हुई थीं। जिसकी वजह से स्वामी रामकृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना गया।

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भगवान गदाधर ने जन्म से पहले दिए थे माता-पिता को दर्शन

दैवीय घटना की बात करें तो विचारक रामकृष्ण परमहंस के जन्म से पहले उनके पिता और माता को एक सपना आया था जिसमें भगवान गदाधर ने दर्शन दिए थे और कहा था कि वो खुद धरती पर अवतार लेकर उनके बेटे के रूप में जन्म लेने वाले हैं। एक ऐसा ही सपना उनकी मां चद्रमणि ने भी देखा था। जिसमें उनकी कोख में दैवीय शक्ति जाती दिखी थीं। इस सपने के बाद से ही उन्हें भगवान विष्णु का अवतार समझा जाने लगा था। उन्होंने अपने पूरे जीवनकाल में सभी धर्मों की एकता पर ही जोर दिया। उन्होंने धर्मों को करीब से जानने के लिए हिंदू, ईसाई और मुस्लिम जैसे धर्मों का अध्ययन किया।

मानवता को बताया सबसे बड़ा धर्म

विचारक रामकृष्ण परमहंस ने मानवता धर्म को ही सबसे बड़ा धर्म बताया था और उसी का प्रचार-प्रसार भी किया था। बता दें कि स्वामी रामकृष्ण का असली नाम कुछ और था। बचपन में प्यार से उनके माता-पिता उन्हें गदाधर बुलाते थे। बिना अच्छी शिक्षा लिए ही उन्होंने महाभारत, रामायण और भगवद् गीता जैसे पुराणों को पढ़ा और अच्छे से याद भी किया। हालांकि उनका निजी जीवन कुछ खास नहीं रहा। क्योंकि उनके जीवन में सुख-समृद्धि, धन, परिवार सुख का कोई मोह नहीं था। स्वामी रामकृष्ण की शादी 21 साल की उम्र में 5 साल की लड़की शारदामणि से हुई थी।