नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में स्थानीय चुनाव के मद्देनजर हुए गुपकार गठबंधन में कांग्रेस के शामिल होने की खबर से उसकी काफी किरकिरी हो रही है। लेकिन इस समझौते से कांग्रेस ने पल्ला झाड़ लिया। आपको बता दें कि इस गुपकार गुट में जम्मू-कश्मीर की पीडीपी, एनसी समेत 6 दलों ने साझा प्रस्ताव पारित किया है इसमें कांग्रेस के नेता ने भी दस्तखत किए हैं। जम्मू-कश्मीर में फिर से 370 और 35 A की बहाली को लेकर ये पार्टियां कोशिश कर रही हैं। वहीं गुपकार समझौते पर अंतरराष्ट्रीय संस्था पनून कश्मीर के प्रवक्ता और विस्थापित कश्मीरी पंडित दीपक काचरू कहते हैं कि कश्मीर से आर्टिकल 370 हटना बहुत अच्छा रहा। हम गुपकार समझौते के विरोध में हैं। यह देश विरोधी है। ऐसा करने वाले देश विरोधी हैं। वह खुलेआम यह कहते भी हैं। कश्मीर में केंद्र सरकार की ओर से आर्टिकल 370 ए हटाए जाने के बाद से ही विरोधी दल देश विरोधी बयानबाजी कर रहे हैं। पीडीपी की मुखिया और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने हाल ही में बयान दिया था कि ‘उनका झंडा जम्मू-कश्मीर का झंडा है और वो तिरंगा तभी उठाएंगी, जब उनको ये झंडा वापस मिलेगा।’
दरअसल जम्मू कश्मीर में जल्द पंचायत चुनाव होने वाले हैं। इसे लेकर विरोधी दलों ने पीपुल्स अलायंस फार गुपकार डिक्लेरेशन (पीएजीडी) का गठन किया है। इसमें कांग्रेस भी शामिल है। इसका मतलब कांग्रेस का इन दलों को समर्थन है, जो देश के झंडे को उठाने में अपमान समझते हैं और जो चीन से सहयोग लेने की बात कर रहे हैं। लेकिन आपको बता दें कि अब जो खबर आ रही है वह बेहद चौंकाने वाली है। मीडिया में छाई खबरों की मानें तो कश्मीर में चुनाव से पहले ही गुपकार गुट में फूट पड़ गई है।
घाटी में 28 नवंबर से शुरू होने वाले जिला विकास परिषद के चुनावों में यहां की छह प्रमुख स्थानीय पार्टियों के गठबंधन गुपकार के उतरने से सियासी हलचल तेज हो गई है। इस गठबंधन में अब्दुला परिवार की अगुवाई वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस, मुफ्ती परिवार की अगुवाई वाली पीडीपी के अलावा चार अन्य पार्टियां शामिल हैं। लेकिन चुनाव में उतरने के फैसले के बाद से जिस तरह से इस गठबंधन की पार्टियों के नेताओं के बयान आ रहे हैं जिसकी वजह से यह गठबंधन विवादों में भी घिर गया है।
आपको बता दें कि नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी ने पहले कहा था कि जब तक जम्मू-कश्मीर में 370 की वापसी नहीं हो जाती है तब तक वह किसी भी चुनाव का बहिष्कार करेंगे। लेकिन अब जब वहां जिला विकास परिषद के चुनाव घोषित किए गए तो वहां की पार्टियां चुनाव मैदान में आ गई जिसकी वजह से वहां की पार्टियों के नेताओं के बीच गुस्सा पनप रहा है। इन दोनों ही पार्टियों के कुछ नेता अपनी-अपनी पार्टी के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।
आपको बता दें कि सीट बंटवारे को लेकर पीडीपी के कई नेता अपनी पार्टी के फैसले से खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि इन चुनावों मे नेशनल कांफ्रेंस को उन सीटों पर भी लड़ने का मौका दिया गया जहां पीडीपी का जनाधार मजबूत था। नेशनल कांफ्रेंस को इन चुनावों में ज्यादा सीट पर लड़ने को दिया गया है। वहीं दोनों ही पार्टी के कई नेता इस बात का भी विरोध कर रहे हैं कि जब चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया गया था तो पिर बाजपा आ जाएगी का डर दिखाकर क्यों चुनाव लड़ने की तैयारी की गई। क्या गुपकार गुट इस बात को मान चुका है कि दिल्ली से जो भी आदेश आ रहा है उस पर अमल करके ही काम किया जा सकता है।
इसके साथ ही गुपकार गठबंधन के बावजूद इनके घटक दलों ने एक दूसरे को नुकसान पहुंचाने के लिए कई सीटों पर डमी उम्मीदवार भी खड़े किए हैं। यही नहीं कांग्रेस ने तो कई सीटों पर सभी पार्टियों के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है।