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यूपी पुलिस का बड़ा फैसला, जमातियों के लिए बनाई गई 40 अस्थायी जेल

उत्तर प्रदेश में जमातियों और मरकज से जुड़े लोगों के लिए करीब 40 अस्थायी जेल बनाई गई हैं। गुरुवार को गाजियाबाद पहुंचे उत्तर प्रदेश के डीजी जेल आनंद कुमार ने इसकी जानकारी दी।

गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश में जमातियों और मरकज से जुड़े लोगों के लिए करीब 40 अस्थायी जेल बनाई गई हैं। गुरुवार को गाजियाबाद पहुंचे उत्तर प्रदेश के डीजी जेल आनंद कुमार ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सूबे में तकरीबन 40 अस्थायी जेल बनाई जा चुकी हैं। ये जेल जमातियों और उनके लिए बनाई गई हैं, जो मरकज से जुड़े रहे और खुद को छुपा कर रखा। साथ ही हाल फिलहाल में आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया, जिसमें पुलिस और डॉक्टरों पर हमला भी शामिल है।

आनंद कुमार के मुताबिक पूरे प्रदेश में जेलों के हालात बढ़िया हैं। हालांकि सूबे की जेलों में कैदियों की संख्या काफी बढ़ गई है। लॉकडाउन के दौरान कानून तोड़ने वाले लोगों को अस्थायी जेल में रखा जाएगा। इस दौरान डीजी जेल आनंद कुमार ने डासना जेल की व्यवस्था को लेकर संतुष्ट नजर आए और कहा, ‘मैं यहां अपने कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाने आया हूं।’


आनंद कुमार ने जेल का निरीक्षण किया और साफ-सफाई व सैनिटाइजिंग से खुश नजर आए। उन्होंने कहा कि उनका गाजियाबाद की डासना जेल में आने का मकसद यह है कि जो भी यहां पर जेल में बंदी है या जेल का स्टाफ है, उनके अंदर स्फूर्ति आए और जो कार्य कर रहे हैं, वो सुचारू रूप से किया जा सके। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश की सबसे ज्यादा कैदियों वाली गाजियाबाद की डासना जेल में 3800 बंदी हैं। यहां पर कैदियों के लिए खाने पीने और सफाई की जो व्यवस्था की गई है, वो संतोषजनकर पाई गई है।

जेल में रखा जा रहा सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल

उन्होंने कहा कि यहां पर बनाए गए चिकित्सालय में भी पूरे इंतजाम हैं और कोरोना वायरस को लेकर सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ध्यान दिया जा रहा है। इसके अलावा साफ-सफाई की भी यहां पूरी व्यवस्था की गई है। कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए सैनिटाइज किया गया है। कैदियों के लिए हर बैरक में टीवी लगाई गई और रेडियो के माध्यम से मनोरंजन की भी व्यवस्था की गई है।

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जेल में आइसोलेशन और क्वारंटाइन बैरक

यूपी के डीजी जेल आनंद कुमार ने कहा कि इस जेल में 3800 बंदी होने के बावजूद इनके लिए आइसोलेशन बैरक और क्वारनटीन बैरक भी बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि बाहर से आने वाले बंदी को 14 दिन के लिए क्वारनटीन किया जाता है। अगर 14 दिन में उनमें कोरोना के लक्षण पाए जाते हैं, तो उनको बैरक में रखा जाता है। जनपद में जो अस्थायी जेल बनाई गई हैं, वो इसलिए बनाई गई है, ताकि बाहर से आने वाले बंदियों को वहां रखा जा सके। अगर उनको कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है, तो उनका इलाज कराया जाता है। बाहरी कैदियों को साथ में रखने से कोरोना के फैलने की आशंका रहती है।