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विदेशी हथियारों से अधिक स्वेदशी हथियारों पर हो ध्यान : CDS बिपिन रावत

पिछले कुछ सालों में विदेशी हथियारों और अन्य सुरक्षा उपकरणों की डील में तेजी देखी गई है। कई देशों से भारत इस क्षेत्र में सौदा कर रहा है। ऐसे में बिपिन रावत का यह बयान काफी अहम है।

नई दिल्ली। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत ने एक निजी चैनल के इंटरव्यू में कहा कि हमारी सेनाओं को विदेशी हथियारों कम आयात करके मेक इन इंडिया पर अधिक ध्यान देना चाहिए। रावत ने अपने बयान में कहा है कि, सेनाओं को अपनी जरूरत के हिसाब से ‘मेक इन इंडिया’ पर ध्यान देना चाहिए और बाहर से हथियार आयात करने से बचना चाहिए।

Gen Bipin Rawat

टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए गए एक इंटरव्यू में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा कि विदेशों से हथियार मंगाने में भारत सरकार जितना पैसा खर्च करती है, उससे देश में ही डिफेंस इंडस्ट्री तैयार की जा सकती है। उन्होंने कहा कि दूसरे देशों को देखकर हथियारों को नहीं मंगाना चाहिए बल्कि अपनी जरूरतों के हिसाब से हथियारों का सौदा ​किया जाना चाहिए।

दरअसल पिछले कुछ सालों में विदेशी हथियारों और अन्य सुरक्षा उपकरणों की डील में तेजी देखी गई है। कई देशों से भारत इस क्षेत्र में सौदा कर रहा है। ऐसे में बिपिन रावत का यह बयान काफी अहम है। जनरल रावत ने कहा कि हमारी सेना का काम केवल अपनी सीमा की सुरक्षा करना है न कि दूसरे दशों में जाकर तैनात होना। ऐसे में जरूरी है कि हम अपनी सीमा की सुरक्षा करने के लिहाज से ही हथियारों के बारे में सोचें।

bipin_rawat

रावत ने इस दौरान समुद्री क्षेत्र पर भी विशेष ध्यान देने को कहा। उन्होंने कहा कि इस समय जरूरत है कि हम समुद्री क्षेत्र में भी अपना दबदबा बनाकर रखें। देश में फैली महामारी के बीच विदेशी हथियारों के रखरखाव पर उन्होंने कहा कि, विदेशों से मंगाए जाने वाले हथियार और सुरक्षा उपकरण और उनका मेंटनेंस काफी महंगा होता है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम विदेशी हथियारों पर निर्भर न रह कर भारत में बने हथियारों पर फोकस करें।

Rajnath Singh RAfel

आपको बता दें कि दूसरे देशों से हथियार खरीदने के मामले में भारत सऊदी अरब के बाद दूसरे नंबर पर है। सऊदी अरब में दुनियाभर से खरीदे जाने वाले हथियारों का 9.2 प्रतिशत खरीदा जाता है। हाल के दिनों में भारत ने 59 हजार करोड़ रुपये की 36 राफेल फाइटर जेट और 40 हजार करोड़ रुपये की पांच रूसी जमीन से आसमान में मार करने वाली S-400 मिसाइल स्क्वॉड्रान की डील की है। ऐसे में अब जरूरत समझी जा रही है कि इन महंगे सौदों से बेहतर है कि देश में ही हथियारों को तैयार किया जाए, जिससे सरकारी खजाने में होने वाले अतिरिक्त बोझ को कम किया जा सके।