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Tamilnadu: पट्टिना प्रवेशम पर बैन से उबला तमिलनाडु, डीएमके सरकार के खिलाफ उतरे संत, बीजेपी बोली- हम ले जाएंगे…

तमिलनाडु में करीब 500 साल पुरानी परंपरा ‘पट्टिना प्रवेशम’ पर इस बार प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके बाद संतों-महंतों ने राज्य की एमके स्टालिन सरकार का विरोध शुरू कर दिया है। इस मामले में बीजेपी भी कूद पड़ी है।

चेन्नई। तमिलनाडु में करीब 500 साल पुरानी परंपरा ‘पट्टिना प्रवेशम’ पर इस बार प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके बाद संतों-महंतों ने राज्य की एमके स्टालिन सरकार का विरोध शुरू कर दिया है। इस मामले में बीजेपी भी कूद पड़ी है। बीजेपी के राज्य इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने बयान दिया है कि राजस्व अफसरों की ओर से लगाए गए इस बैन के खिलाफ उसके कार्यकर्ता खुद पालकी में मठ में ले जाएंगे। पट्टिना प्रवेशम इस महीने के अंत में होना था। पट्टिना प्रवेशम पर रोक लगाए जाने के बाद वैष्णव मत के गुरु मन्नारगुड़ी श्री सेंदलंगरा जीयार ने कहा है कि ये एक धार्मक परंपरा है। इसे रोकने का हक किसी को नहीं है। मन्नारगुड़ी जीयार होने के नाते मैं इसे धर्मद्रोही और देशद्रोही काम मानता हूं।

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वहीं, साल में एक बार धूमधाम से मनाई जाने वाली इस परंपरा पर मदुरै अधीनम के प्रमुख श्री हरिहर श्री ज्ञानसंबंद देसिका स्वामीगल ने डीएमके के स्टालिन सरकार पर और गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि जब उन्होंने अपने धार्मिक कर्तव्यों को पूरा करने के लिए अधीनम से जुड़ी जमीन, मंदिर और अन्य व्यावसायिक संपत्तियां वापस करने के लिए कहा, तो सरकार की तरफ से उन्हें धमकी मिली। स्वामीगल के मुताबिक डीएमके के तमाम सदस्यों ने अधीनम की संपत्तियों पर कब्जा कर रखा है। स्वामीगल ने इससे पहले कहा था कि धर्मापुरम अधीनम का शैव संप्रदाय के लोगों के लिए ईसाइयों के वेटिकन जैसा ही महत्व है।

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उन्होंने कहा कि उनका मठ प्राचीन है। इस वजह से उसका विरोध नहीं सम्मान होना चाहिए। स्वामीगल ने ये भी कहा कि पट्टिना प्रवेशम परंपरा गुरु के प्रति सम्मान का प्रतीक है। उन्होंने इस परंपरा पर रोक लगाए जाने के बाद मांग की है कि खुद सीएम स्टालिन को इस मामले में दखल देना चाहिए। इसे ब्रिटिश राज के दौरान और आजादी के बाद से अब तक मान्यता मिलती आई है।