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Uttar Pradesh: अब इस जिले का नाम बदलेगी योगी सरकार?, BJP सांसद ने मुख्यमंत्री से कर दी मांग

Uttar Pradesh: इसको लेकर फर्रुखाबाद से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद मुकेश राजपूत ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक चिट्ठी भी लिखी है। सीएम योगी को लिखी चिट्ठी में भाजपा सांसद ने कहा कि फर्रुखाबाद का इतिहास बहुत ही प्राचीनकाल का है तीन नदियों गंगा, रामगंगा, काली नदी के मध्य बसा हुआ फर्रुखाबाद का इतिहास पौराणिक काल से से समृद्ध है।

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार दोबारा सत्ता पर काबिज हो गई है। भाजपा ने दूसरी बार सूबे में सरकार बनाकर इतिहास रच दिया। 37 साल बाद कोई पार्टी दोबारा सत्ता में लगातार वापस आई है। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुर्सी पर विराजमान होने के साथ ही एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं। एक तरफ जहां अपराधियों और माफियाओं में भय का माहौल दिखाई दे रहा है। बीते दिनों योगी सरकार के एक्शन से घबराए कई अपराधी पुलिस थाने में सरेंडर करने पहुंचे थे। वहीं दूसरी ओर एक बार फिर प्रदेश में शहरों के नाम बदलने की मांग भी उठने लगी है। इलाहाबाद, फैजाबाद के बाद अब एक और जिले का नाम चेंज करने की मांग उठ रही है। दरअसल, अब उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद का नाम बदलकर पांचालनगर करने की मांग उठी है।

PM Modi And yogi Adityanath

इसको लेकर फर्रुखाबाद से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद मुकेश राजपूत ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक चिट्ठी भी लिखी है। सीएम योगी को लिखी चिट्ठी में भाजपा सांसद ने कहा कि फर्रुखाबाद का इतिहास बहुत ही प्राचीनकाल का है तीन नदियों गंगा, रामगंगा, काली नदी के मध्य बसा हुआ फर्रुखाबाद का इतिहास पौराणिक काल से से समृद्ध है। महोदय उस समय पांचाल क्षेत्र कहलाता था, यह शहर पांचाल राज्य की राजधानी हुआ करती थी। फर्रुखाबाद की स्थापना से पहले ही यहां कपिल, संकिसा, श्रंगीरामपुर और शमसाबाद प्रसिद्ध थे। आखिर में उन्होंने लिखा कि, भारतीय संस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिए मेरे संसदीय क्षेत्र जनपद फर्रुखाबाद का नाम बदलकर पांचालनगर/अपराकशी करने का कष्ट करें। इसके  लिए मेरे क्षेत्र की जनता आपकी सदैव आभारी रहेगी।

mukesh rajput

आपको तो पता ही होगा कि इससे पहले इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज, फैजाबाद का अयोध्या और मुगलसराय का नाम दीनदयाल उपाध्याय नगर किया गया था। वहीं, प्रदेश के कई स्टेशनों के नाम भी बदले गए थे। जिसे लेकर कई तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिली थी। किसी ने विरोध तो किसी ने समर्थन किया था। उधर, राजनीतिक हलकों में नाम बदले जाने को लेकर सभी विरोधी के दलों के नेताओं ने एकजुट होकर भाजपा पर निशाना भी साधा था।