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किताब या हिजाब? उठा मुद्दा, तो हुई तीखी बहस, फिर BJP नेता ने दिखाया आईना

उधर, एंकर की तरफ से जब sdpi की महासचिव यास्मीन से जब हिजाब विवाद के संदर्भ में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि किसी को क्या पहनना है और क्या नहीं। इसे तय करने वाला कोई दूसरा कौन होता है। ये तो हमारी मर्जी है।

यूं तो बेशुमार ऐसे मसले रहते हैं, जिसे लेकर किसी न किसी मौकों पर बहस का सिलसिला जारी रहता है। लोग खुलकर इन मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त करते हैं। किसी की राय का स्वागत किया जाता है तो किसी की राय का विरोध किया जाता है। खैर, एक लोकतांत्रिक देश में यह स्वाभाविक है। लोगों को अभिव्यक्ति के तहत यह आजादी मिली हुई है। वर्तमान में सियाली गलियारों में एक ऐसा ही मसला काफी सुर्खियों में है, जिसे लेकर लोग खुलकर अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं। बीते दिनों में यह मसला सियासी गलियारों में बहस की वजह भी बनकर उभरा था। जी बिल्कुल, सही समझें आप, हम हिजाब मुद्दे की बात कर रहे हैं, बहरहाल, इस पर अंतिम फैसला आना अभी बाकी है। बीते मंगलवार को ही कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब मुद्दे पर हुई सुनवाई के उपररांत हिजाब को इस्लाम का अभिन्न हिस्सा बताने से साफ इनकार कर दिया था और साथ ही सभी छात्रों को हिदायत देते हुए कहा था कि वे स्कूल प्रशासन द्वारा निर्धारित किए गए कायदों का अनुपालन करें।

hijab row

वहीं, हाईकोर्ट के उक्त फैसले के मद्देनजर मुस्लिम छात्राओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है। खैर, अब देखना होगा कि हाईकोर्ट की तरफ  से उक्त मामले को संज्ञान में लेने के उपरांत क्या कुछ फैसला लिए जाते हैं, लेकिन अभी इस मामले को लेकर बहस का सिलसिला थमा नहीं है। अब तो इस पूरे मजारे को लेकर कई नए  एंगल के साथ बहस शुरू हो चुकी है। अभिव्यक्ति के मुख्तलिफ मंचों का सहारा लेकर उक्त मुद्दे पर बहस का दौर जारी है। इसी क्रम में न्यूज चैनलों में भी इस मुद्दे को लेकर बहस देखने को मिलती है। इसी बीच एक निजी न्यूज चैनल में बहस के दौरान हिजाब मुद्दे को लेकर बहस हुई है, जिसमें मुस्लिम छात्रों की नुमाइंदी करने के साथ-साथ बीजेपी के नेता व अन्य पैनेलिस्ट भी शिरकत हुए थे। बहस का मसला था कि किताब या हिजाब। यह मुद्दा इसलिए रखा गया कि हिजाब पहन कर कॉलेज जाने की जिद्द पर अड़ी छात्राएं कक्षाओं का बहिष्कार कर रही हैं। उधर, शिक्षण संस्थान का भी साफ कहना है  कि बिना ड्रेस कोड के किसी को भी शिक्षण संस्थान में जाने की इजाजत नहीं होगी। जिसे लेकर बहस का सिलसिला जारी है।

उधर, एंकर की तरफ से जब sdpi की महासचिव यास्मीन से जब हिजाब विवाद के संदर्भ में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि किसी को क्या पहनना है और क्या नहीं। इसे तय करने वाला कोई दूसरा कौन होता है। ये तो हमारी मर्जी है। यास्मीन की उक्त कथन पर आपत्ति व्यक्त करते हुए एंकर ने कहा कि आप किस मर्जी की बात कर रहीं हैं। शायद आप यह भूल रहीं है कि आपकी मर्जी के इतर हमारे देश में संविधान भी है, जिसके द्वारा निर्धारित किए गए नियमों का अनुपालन करने के लिए हम सभी बाध्य हैं। बता दें कि एंकर के उक्त प्रतित्तर पर क्षण भर के लिए खुद को असहज महसूस करती हुई यास्मीन ने बाद में कहा कि बिल्कुल हम संविधान के नियमों का पालन करने के  लिए बाध्य हैं, लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी के तहत हमें हमारे नियमों का अनुपालन करने की स्वतंत्रता है। जिस पर बहस को आगे बढ़ाते हुए बीजेपी नेता ने कहा कि शिक्षण संस्थानों के अपने कुछ नियम होते हैं, जिनका अनुपालन अनिवार्य है। उन्होंने अपने कथन की व्यख्या करते हुए कहा कि जरा सोचिए कि अगर किसी स्कूल में सभी अपनी सहूलियतों के हिजाब से पोशाक बनकर आएंगे तो उस स्कूल की सूरत कैसी होगी। आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं। बहरहाल, नोकझोंक के बाद यह बहस अपने विराम स्थल पर पहुंच गई। वहीं, अगर हिजाब मुद्दे की बात करें, तो कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के उपरांत मुस्लिम छात्राओं ने सुप्रीम कोर्ट जाने का ऐलान कर दिया है।