नई दिल्ली। कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है। पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को पार्टी की जम्मू-कश्मीर इकाई में बड़े बदलाव किए थे। इन बदलावों के तहत वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को प्रचार अभियान समिति और राजनीतिक समिति का प्रमुख बनाया गया था, लेकिन गुलाम नबी ने इन पदों को संभालने से मना कर दिया। गुलाम नबी की तरफ से पदों को ठुकराए जाने की वजह तो नहीं बताई गई है, लेकिन उनके करीबियों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए गुलाम नबी ने कई प्रस्ताव दिए थे। जिन्हें कांग्रेस नेतृत्व ने नहीं माना। इसी से वो नाराज हुए। वहीं, गांधी परिवार के सूत्रों का कहना है कि गुलाम नबी ने बीमार होने की बात कहकर पदों से इस्तीफा दिया है।
Ghulam Nabi Azad has refused to assume the post of Campaign Committee President of J&K due to health reasons. He has conveyed this to the Congress leadership & has also thanked the leadership for giving him the responsibility: Congress Sources
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— ANI (@ANI) August 16, 2022
गुलाम नबी के पदों से इस्तीफा देने से कांग्रेस के गलियारों में चर्चाओं का दौर चल रहा है। बता दें कि गुलाम नबी आजाद और कांग्रेस नेतृत्व के बीच तमाम मुद्दों पर मतभेद रहे हैं। गुलाम नबी 23 नेताओं के उस गुट में भी शामिल रहे हैं, जिन्होंने कांग्रेस में नेतृत्व बदलने समेत कई मांगें की थीं। इसके बाद कांग्रेस ने गुलाम नबी को राज्यसभा से रिटायर होने के बाद फिर से सदन में नहीं भेजा। अब जम्मू-कश्मीर में पार्टी के दो अहम पदों से इस्तीफा देने से वो सारी पुरानी बातें एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई हैं। इससे पहले संगठन को मजबूत करने के लिए सोनिया ने जम्मू-कश्मीर में कई बदलाव किए थे। उन्होंने तारिक हामिद कर्रा को प्रचार अभियान समिति में गुलाम नबी के बाद उपाध्यक्ष का पद दिया। इसके अलावा वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफुद्दीन सोज को घोषणापत्र समिति और एमके भारद्वाज को इस समिति का उपाध्यक्ष बनाया था।
अब गुलाम नबी के इस्तीफे से साफ हो रहा है कि वो इन जिम्मेदारियों से संतुष्ट नहीं थे। एक अहम बात ये भी है कि जब गुलाम नबी को पद दिया गया, तो उसके काफी देर बाद उन्होंने इन पदों को न संभालने की बात कही। ऐसे में पार्टी में ये चर्चा भी हो रही है कि गुलाम नबी को शायद प्रदेश अध्यक्ष का पद चाहिए था, लेकिन कांग्रेस आलाकमान की तरफ से ऐसा न किए जाने से वो भड़क गए हैं। अब सबकी नजर इस पर है कि क्या कांग्रेस आलाकमान गुलाम नबी को मनाता है या उनकी जगह किसी और नेता की नियुक्ति प्रचार अभियान समिति और राजनीतिक समिति में की जाती है।