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Uttar Pradesh: मायावती का SP प्रमुख अखिलेश पर वार, कहा- छोटे दलों के साथ जाना सपा की महालाचारी

Uttar Pradesh: बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) ने कहा, ”समाजवादी पार्टी की घोर स्वार्थी, संकीर्ण व ख़ासकर दलित विरोधी सोच एवं कार्यशैली आदि के कड़वे अनुभवों तथा इसकी भुक्तभोगी होने के कारण देश की अधिकतर बड़ी व प्रमुख पार्टियां चुनाव में इनसे किनारा करना ही ज़्यादा बेहतर समझती हैं, जो सर्वविदित है.”

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर जुबानी जंग तेज हो गई है। एक ओर जहां समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने चुनाव को लेकर छोटे दलों के साथ गठबंधन का ऐलान किया है तो वहीं दूसरी तरफ सपा के इस फैसले पर बहुजन समाजवादी पार्टी प्रमुख ने जमकर निशाना साधा है। बसपा प्रमुख मायावती ने तंज सकते हुए कहा है कि सपा से अधिकतर बड़ी पार्टियां किनारा कर चुकी है ऐसे में अखिलेश छोटे दल के साथ चुनाव मैदान में उतरने के लिए तैयार हुए हैं।

mayawati

बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) ने कहा, ”समाजवादी पार्टी की घोर स्वार्थी, संकीर्ण व ख़ासकर दलित विरोधी सोच एवं कार्यशैली आदि के कड़वे अनुभवों तथा इसकी भुक्तभोगी होने के कारण देश की अधिकतर बड़ी व प्रमुख पार्टियां चुनाव में इनसे किनारा करना ही ज़्यादा बेहतर समझती हैं, जो सर्वविदित है।”

अपने अगले ट्वीट में मायावती ने लिखा, “इसीलिए आगामी यूपी विधानसभा आमचुनाव अब यह पार्टी किसी भी बड़ी पार्टी के साथ नहीं बल्कि छोटी पार्टियों के गठबंधन के सहारे ही लड़ेगी, ऐसा कहना व करना सपा की महालाचारी नहीं है तो और क्या है?”

akhilesh

आपको बता दें, एक दिन पहले अपने जन्मदिन के अवसर पर सपा प्रमुख ने ये कहा था कि प्रदेश की जनता अब बदलाव की मांग कर रही है। वर्तमान सरकार ने जनता के बदलाव के सपने को पूरा नहीं किया लेकिन अब 2022 में सपा की सरकार सत्ता में आएगी और लोगों की सभी जरूरतें पूरी करेगी। अखिलेश यादव ने वर्तमान भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि इस सरकार ने जो भी वादा लोगों से किए हैं वह निभाए जाएं और अपना संकल्प पत्र पूरा करे।

चुनाव को लेकर किया ये ऐलान

वहीं चुनाव में गठबंधन को लेकर ऐलान करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी के नेता ने कहा कि पार्टी बड़े दलों के साथ नहीं चलेगी बल्कि पार्टी छोटे दलों को अपने साथ रखते हुए सत्ता में आएगी। इसके अलावा वो ज्यादा से ज्यादा छोटे दलों के साथ गठबंधन करेंगे, चाचा (शिवपाल सिंह यादव) को भी साथ रखने की कोशिश करेंगे।