नई दिल्ली। एनसीपी पर कब्जे के लिए शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार के बीच जारी जंग में आज का दिन भी अहम है। शरद पवार और अजित पवार ने बुधवार को मुंबई में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया था। ताकत के इस प्रदर्शन में अजित पवार अपने चाचा पर बीस छूटे थे। अब शरद पवार ने आज दिल्ली में एनसीपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। सबकी नजर इस पर है कि शरद पवार की बुलाई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में एनसीपी के कितने और कौन-कौन नेता पहुंचते हैं। अजित पवार पहले ही चुनाव आयोग को भेजी चिट्ठी में राष्ट्रीय कार्यकारिणी बुलाकर शरद पवार को एनसीपी के अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बारे में जानकारी दे चुके हैं।
अजित पवार ने एनसीपी अपने पास होने के दावे के नाते चुनाव आयोग को जो चिट्ठी भेजी है, उसमें लिखा है कि 30 जून को कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई थी। जिसमें शरद पवार को एनसीपी के अध्यक्ष पद से हटाने और अजित पवार को ये पद सौंपे जाने का फैसला हुआ था। ये लिखकर अजित पवार ने शरद पवार के उस फैसले को भी चुनौती दी है कि उन्होंने प्रफुल्ल पटेल समेत 2 नेताओं को एनसीपी से निकाल दिया और अजित पवार समेत 9 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की चिट्ठी विधानसभा अध्यक्ष को भेजी। अजित पवार का खेमा ये साबित करना चाहता है कि जब शरद पवार अध्यक्ष ही नहीं थे, तो वो भला किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई कैसे कर सकते हैं।
अब जरा बुधवार को चाचा और भतीजे के शक्ति प्रदर्शन के बारे में बात कर लेते हैं। शरद पवार और अजित पवार ने अपने-अपने समर्थकों की बैठक बुलाई थी। अजित पवार की बैठक में एनसीपी के 31 विधायक और 4 एमएलसी पहुंचे। वहीं, शरद पवार की बैठक में 13 विधायक और 4 सांसद शामिल हुए थे। ऐसे में अजित गुट को दलबदल विरोधी कार्रवाई से बचने के लिए कम से कम 35 विधायक चाहिए। इस गुट ने 40 विधायकों के समर्थन का दावा किया है। एनसीपी के कुल विधायकों की संख्या 53 है। अभी 9 विधायक ऐसे हैं, जिन्होंने किसी के पक्ष में खुलकर अपनी राय नहीं रखी है।