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Pitru Paksha 2022: पृथ्वी का आदि क्षेत्र माने जाने वाले इस स्थान पर तर्पण करने से मिलता है पितरों का आशीर्वाद, स्वयं को भी मिलती है मुक्ति

Pitru Paksha 2022: इस स्थान पर श्राद्ध करने के बाद निकट में स्थित श्रीहरि विष्णु के मंदिर में विराजमान वराह रूप के दर्शन करने के बाद श्राद्ध कर्म को पूरा माना जाता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, सूकर क्षेत्र में श्राद्ध करना सबसे शुभ माना गया है।

नई दिल्ली। पितृपक्ष आरंभ हो चुके हैं और देश भर में लोगों ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए दान-पुण्य तर्पण आदि करने की तैयारियां आरम्भ कर दी हैं। इस अवसर पर तीर्थनगरी सोरोंजी के हरि की पौड़ी घाट पर लोगों का तांता लग गया है। ऐसी मान्यता है कि ‘यहां पर तर्पण करने से पितरों का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस स्थान पर श्राद्ध करने के बाद निकट में स्थित श्रीहरि विष्णु के मंदिर में विराजमान वराह रूप के दर्शन किए जाते हैं। ऐसा करने के बाद ही श्राद्ध कर्म को पूर्ण माना जाता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, सूकर क्षेत्र में श्राद्ध करना सबसे शुभ होता है। सोरोंजी वराह भगवान का स्थान होने की वजह से श्राद्ध के लिए इससे श्रेष्ठ कोई और स्थान नहीं है।

श्राद्धपक्ष की पूर्णिमा पर लाखों श्रद्धालुओं ने गंगाजी में डुबकी लगाई। इस मौके पर पुरोहित वंशीधर शास्त्री ने बताया कि ‘पितृपक्ष के दौरान ब्राह्मणों को भोजन खिलाने और दक्षिणा आदि का दान करने से पुण्य लाभ मिलता है।’ उन्होंने कहा कि ’16 दिनों तक तीर्थ नगरी सोरों में पितरों का तर्पण करने के लिए श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ता रहेगा।’ इस स्थान के बारे में कहा जाता है कि ये पृथ्वी का आदि क्षेत्र है। साथ ही इस स्थान को वराह गंगा, वृहद गंगा और भागीरथी गंगा के पवित्र अंचल में स्थित माना जाता है।

इस पवित्र तीर्थस्थान के दर्शन करने और यहां की पवित्र रज को स्पर्श करने से पितर तो प्रसन्न होते ही हैं। पिण्डदान करने वाले व्यक्ति को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, इसे भगवान वराह का प्रिय स्थान भी माना जाता है, यही कारण है कि उन्होंने यहां पर मोक्ष की प्राप्ति की थी।