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Action: मोदी सरकार में घोटालेबाजों पर कार्रवाई जारी, को-लोकेशन मामले में NSE की पूर्व सीईओ चित्रा सुब्रहमण्यम गिरफ्तार

जिस को-लोकेशन घोटाले के आरोप में चित्रा को गिरफ्तार किया गया है, वो आखिर है क्या। दरअसल एनएसई के कुछ ब्रोकरों को ऐसी सुविधा दी गई थी, जिससे उन्हें बाकी के मुकाबले शेयरों की कीमतों की जानकारी कुछ पहले मिल जाती थी। इसका लाभ उठाकर वे भारी मुनाफा कमा रहे थे।

नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार में घोटालेबाजों पर सख्त कार्रवाई जारी है। इसी कड़ी में हिमालय में विचरण करने वाले कथित योगी के इशारे पर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को चलाने वाली पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्ण को सीबीआई ने को-लोकेशन घोटाला मामले में रविवार को गिरफ्तार कर लिया। चित्रा को दिल्ली में गिरफ्तार किया गया। उन्हें सीबीआई मुख्यालय में हवालात में रखा गया। आज उनको राउज एवेन्यू कोर्ट में जांच एजेंसी पेश कर रिमांड का आवेदन देगी। चित्रा से लगातार तीन दिन तक पूछताछ के अलावा उनके घर की भी तलाशी ली गई थी। सीबीआई के मुताबिक रामकृष्ण सवालों का जवाब ठीक से नहीं दे रही थीं। एक मनोवैज्ञानिक से भी सीबीआई ने पूछताछ कराई। उसने भी सीबीआई से कहा कि चित्रा को गिरफ्तार करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है।

इससे पहले चित्रा को सीबीआई की विशेष अदालत ने झटका देते हुए उनकी अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज कर दी थी। चित्रा पर आरोप है कि कथित योगी के इशारे पर उन्होंने एनएसई का संचालन किया और संवेदनशील जानकारी साझा की। इस मामले में पहले ही सीबीआई चेन्नई से एनएसई के पूर्व ग्रुप ऑपरेटिंग अफसर आनंद सुब्रहमण्यम को गिरफ्तार कर चुकी है। आनंद पर आरोप है कि वो योगी बनकर चित्रा को निर्देश देता रहा और खुद फायदा उठाया। चित्रा रामकृष्ण अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 तक एनएसई की एमडी और सीईओ थीं।

अब आपको बताते हैं कि जिस को-लोकेशन घोटाले के आरोप में चित्रा को गिरफ्तार किया गया है, वो आखिर है क्या। दरअसल एनएसई के कुछ ब्रोकरों को ऐसी सुविधा दी गई थी, जिससे उन्हें बाकी के मुकाबले शेयरों की कीमतों की जानकारी कुछ पहले मिल जाती थी। इसका लाभ उठाकर वे भारी मुनाफा कमा रहे थे। इससे एनएसई के पारदर्शिता आधारित ढांचे का उल्लंघन हो रहा था। धांधली करके अंदरूनी सूत्रों की मदद से सर्वर को को-लोकेट करके सीधा एक्सेस दिया गया था। सेबी को इस संबंध में एक अज्ञात सूचना मिली थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि एनएसई के अफसरों की मदद से कुछ ब्रोकर पहले ही जानकारी मिलने का लाभ उठा रहे हैं। इस घोटाले की रकम चित्रा के 5 साल के कार्यकाल के दौरान 50000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। जांच में पता चला कि चित्रा ने सीईओ बनने के बाद को-लोकेशन की शुरुआत की थी।