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CBI Interrogates Satyapal Malik: पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक से सीबीआई ने की 5 घंटे पूछताछ, रिश्वत देने का आरोप लगाया था

सत्यपाल मलिक ने गवर्नर पद से रिटायर होने के बाद ये बयान दिया था। सीबीआई ने दूसरी बार उनको पूछताछ के लिए जब नोटिस दिया, तो सत्यपाल मलिक ने कहा था कि मैंने सच बोलकर कुछ लोगों के पाप उजागर किए हैं। शायद यही वजह है कि मुझे बुलाया गया है। उन्होंने कहा था कि किसान का बेटा हूं, सच्चाई के साथ खड़ा रहूंगा।

नई दिल्ली। सीबीआई ने जम्मू-कश्मीर, बिहार, गोवा और मेघालय के गवर्नर रहे सत्यपाल मलिक से शुक्रवार को 5 घंटे तक पूछताछ की। जम्मू-कश्मीर में कथित बीमा घोटाले के सिलसिले में सत्यपाल मलिक से जांच एजेंसी ने ये पूछताछ की है। सत्यपाल मलिक से उनके घर पर ये पूछताछ हुई। सत्यपाल मलिक ने पहले बयान दिया था कि उन्हें जम्मू-कश्मीर का गवर्नर रहते वक्त संबंधित फाइलों को मंजूरी देने के एवज में रिश्वत की पेशकश की गई थी। सीबीआई पहले भी सत्यपाल मलिक से पूछताछ कर चुकी है। सत्यपाल मलिक ने गवर्नर पद से रिटायर होने के बाद ये बयान दिया था। सीबीआई ने दूसरी बार उनको पूछताछ के लिए जब नोटिस दिया, तो सत्यपाल मलिक ने कहा था कि मैंने सच बोलकर कुछ लोगों के पाप उजागर किए हैं। शायद यही वजह है कि मुझे बुलाया गया है।

SATYAPAL MALIK

उन्होंने कहा था कि किसान का बेटा हूं, घबराऊंगा नहीं और सच्चाई के साथ खड़ा रहूंगा। सत्यपाल मलिक से पूछताछ के मामले में सीबीआई के सूत्रों ने बताया कि पूर्व गवर्नर से आरके पुरम के सोम विहार स्थित आवास पर शुक्रवार करीब पौने 12 बजे सीबीआई ने पूछताछ शुरू की थी। उनसे करीब 5 घंटे तक अफसरों ने सवाल किए और घोटाले के आरोपों पर स्पष्टीकरण मांगा। सत्यपाल मलिक को अभी जांच एजेंसी ने आरोपी नहीं बनाया है। ऐसे में उनसे जानकारी लेकर सीबीआई इस मामले में आगे की रणनीति बनाने पर काम करने जा रही है। अभी ये पता नहीं चला है कि कल हुई पूछताछ में सत्यपाल मलिक ने सीबीआई को अपने आरोपों के संबंध में कोई सबूत दिए हैं या नहीं।

cbi

सीबीआई ने सत्यपाल मलिक की तरफ से भ्रष्टाचार के लिए रिश्वत देने की पेशकश का खुलासा करने के बाद 2 एफआईआर दर्ज की थीं। एक एफआईआर जम्मू-कश्मीर में सरकारी कर्मचारियों का बीमा कराने से संबंधित है। जबकि, दूसरी एफआईआर उसी राज्य में पनबिजली प्रोजेक्ट से जुड़ी है। सत्यपाल मलिक का आरोप था कि आरएसएस के एक नेता के करीबी ने उनको दोनों मामलों में फाइलों को मंजूरी देने के बदले 300 करोड़ घूस के तौर पर देने की पेशकश की थी।