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One Nation One Election: केंद्र का बड़ा कदम, संसद के विशेष सत्र में ‘एक देश, एक चुनाव’ का बिल होगा पेश

One Nation One Election: पीएम मोदी ने विपक्ष के संभावित विरोध पर सदन में कहा था कि मेरी जब विपक्षी नेताओं से मुलाकात होती है, तो वो भी कहते हैं कि हमें बार-बार के चुनाव कराए जाने के झंझट से बाहर आ जाना चाहिए, क्योंकि इससे देश का समय और धन दोनों ही बर्बाद होता है। लिहाजा इस पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है।

नई दिल्ली। 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र आहूत किया गया है, जिसे लेकर विपक्ष की ओर से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। विपक्ष की ओर से सबसे पहले कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस पर सवाल उठाया। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि जब नवंबर-दिसंबर में संसद का शीतकालीन सत्र होना ही है, तो विशेष सत्र बुलाए जाने की आवश्यकता क्यों पड़ गई? यह सरकार अब सरेराह नियमों की धज्जियां उड़ाने पर आमादा हो चुकी है। उधर, बीजेपी की ओर से कहा गया है कि पिछला सत्र हंगामेदार रहा। लिहाजा कुछ अहम बिल पारित नहीं हो पाए थे, जिसे ध्यान में रखते हुए संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है।

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बताया जा रहा है कि पांच दिनों के सत्र के दौरान केंद्र की ओर से 10 बिल पेश किए जाएंगे, तो वहीं 5 बैठकें भी होंगी। इस दौरान महिला आरक्षण विधेयक, यूसीसी सहित अन्य बिल पेश किए जाएंगे। ध्यान दें कि उत्तराखंड सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार कर लिया गया है। अब इसे जल्द ही संसद के विशेष सत्र के दौरान पेश किया जाएगा। इसी बीच खबर है कि सदन में एक देश एक चुनाव का बिल भी पेश किया जाएगा। ध्यान दें कि इस बिल के तहत देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जाने के फैसले को जमीन पर उतारा जाएगा। बता दें कि पीएम मोदी भी कई मौकों पर एक साथ चुनाव कराने की पैरोकारी कर चुके हैं। बीते दिनों उन्होंने राज्यसभा में कहा था कि अब हमें बार-बार के चुनाव कराए जाने के झंझट से बाहर आ जाना चाहिए और कुछ ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि एक साथ ही सभी चुनाव हो जाए।

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पीएम मोदी ने विपक्ष के संभावित विरोध पर सदन में कहा था कि मेरी जब विपक्षी नेताओं से मुलाकात होती है, तो वो भी कहते हैं कि हमें बार-बार के चुनाव कराए जाने के झंझट से बाहर आ जाना चाहिए, क्योंकि इससे देश का समय और धन दोनों ही बर्बाद होता है। लिहाजा इस पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है। हालांकि, पीएम मोदी ने मानसून सत्र के दौरान ही एक देश एक चुनाव को लेकर बिल लाने के संकेत दे दिए थे, लेकिन अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की वजह से कई अहम बिल पेश नहीं हो पाए, लिहाजा अब संसद का विशेष सत्र आहूत किया गया, तो सरकार ने एक देश एक चुनाव को लेकर बिल लाने का फैसला किया है।

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बहरहाल, अब आगामी दिनों में यह देखना दिलचस्प रहेगा कि इसे लेकर विपक्षी दलों का क्या रुख रहता है। ध्यान दें कि बीते दिनों दिल्ली लोक सेवा बिल भी केंद्र सरकार की ओर से पेश किया गया था। आम आदमी पार्टी की अगुवाई में इस बिल का विरोध किया गया था, लेकिन संख्याबल के अभाव में यह विरोध महज विरोध ही बनकर रह गया। विपक्षी खेमे में संख्याबल के अभाव में यह बिल कानून का रूप धारण कर गया, जिसे केजरीवाल सरकार के लिए बड़े झटके के रूप में देखा गया। वहीं, अब एक देश एक चुनाव को लेकर सदन में मुख्तलिफ राजनीतिक दलों का क्या रुख रहता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।