नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने आज ‘व्यावहारिक परिवर्तन से जलवायु परिवर्तन से निपटना’ विषय पर वर्ल्ड बैंक के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने की शुरुआत हर घर के खाने की टेबल से होना चाहिए। महज कॉन्फ्रेंस रूम की टेबल से इस बारे में सकारात्मक कोशिश नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि जब कोई विचार खाने की टेबल पर आता है, तो फिर ये जन आंदोलन बनता है। उन्होंने व्यवहार परिवर्तन को जरूरी बताया। पीएम मोदी ने वर्ल्ड बैंक के कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल होते हुए कहा कि हर व्यक्ति और परिवार को बताना जरूरी है कि उनकी पसंद से धरती को बेहतर जलवायु के पैमाने और गति देने में मदद मिल सकती है।
#WATCH | Climate change cannot be fought from conference tables alone, it has to be fought from the dinner tables in every home. When ideas move from discussion tables to dinner tables, it becomes a mass movement: Prime Minister Narendra Modi at the World Bank programme on… pic.twitter.com/DmtJRMLK2d
— ANI (@ANI) April 15, 2023
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब लोग जागरूक होंगे, तभी उनके दैनिक जीवन में सरल काम भी ताकतवर बनेंगे। इससे जलवायु पर सकारात्मक असर होगा। मोदी ने असर डालने वाले व्यवहार परिवर्तन के उदाहरण दिए और कहा कि भारत के लोगों ने इस दिशा में बहुत काम किया है। उनकी सराहना की जानी चाहिए। कुल मिलाकर मोदी के भाषण ने ऊर्जा, जलवायु के सामने बड़ी चुनौतियों की तरफ दुनिया के नेताओं का ध्यान खींचा। मोदी ने कहा कि देश के कई हिस्सों में भारतीय लिंगानुपात में सुधार की कोशिश भी कर रहे हैं। समुद्र तटों, सड़कों पर स्वच्छता का अभियान लोगों ने चलाया। एलईडी बल्बों के इस्तेमाल को सफल बनाया।
मोदी ने कहा कि भारतीयों ने दिखाया है कि किस तरह ऊर्जा और संसाधनों के सही इस्तेमाल से बदलाव लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से 22 अरब यूनिट बिजली की बचत होगी। 9 ट्रिलियन पानी बचेगा और 37.5 करोड़ टन कूड़े-कचरे को साफ किया जा सकता है। साथ ही 10 लाख टन ई-कचरे को भी रीसाइकिल कर सकते हैं। इससे 2030 तक 17 करोड़ डॉलर की बचत होगी। साथ ही 15 अरब टन भोजन की बर्बादी भी रुकेगी। उन्होंने कहा कि वर्ल्ड बैंक जलवायु के लिए 26 फीसदी से बढ़ाकर 35 फीसदी खर्च करना चाहता है। इसका कई गुना प्रभाव होगा। वर्ल्ड बैंक के चीफ डेविड मालापास ने कार्यक्रम में कहा कि सही नीतियों और प्रोत्साहन से संयुक्त संस्थाएं गहरी जड़ें जमा चुकने वाली आदतों को बदल सकती हैं। जिससे जलवायु की रक्षा हो सकेगी। उन्होंने पीएम मोदी के भाषण और भारत की पहल का भी स्वागत किया।