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High Command On Target: राज्यसभा सीटों के बंटवारे से राहुल गांधी का ये करीबी भी नाराज, कहा- क्या कार्यकर्ता के लिए…

कांग्रेस में बीते दिनों नेताओं ने अलग-अलग तरीके से आलाकमान पर निशाना साधने में कोई चूक नहीं की थी। राजस्थान के सिरोही से विधायक ने तो सीधे राहुल गांधी और कांग्रेस को टैग कर पूछ लिया था कि आखिर राज्य से कोई प्रत्याशी उन्हें क्यों नहीं दिखा। वहीं, राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने लिखा था कि शायद मेरी तपस्या में कोई कमी रह गई।

नई दिल्ली। कांग्रेस में राज्यसभा सीटों के मसले पर विवाद अभी थमता नजर नहीं आ रहा है। बीते दिनों पार्टी के कई नेताओं ने राज्यसभा प्रत्याशी चुनने के कांग्रेस आलाकमान के फैसले पर सवाल उठाया था। फिल्म एक्टर और पार्टी की नेता नगमा ने तो ये आरोप तक लगाया था कि सोनिया ने उन्हें राज्यसभा भेजने को कहा था, लेकिन नहीं भेजा। अब नाराजगी का दौर खुद राहुल गांधी के कैंप तक जा पहुंचा है। राहुल गांधी के करीबी और कांग्रेस की डेटा एनालिटिक्स विंग के चीफ प्रवीण चक्रवर्ती ने महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले के एक बयान के हवाले से पार्टी आलाकमान पर तंज कसा है।

praveen chakravarty twitter profile

पहले आपको बताते हैं कि पेशे से बैंकर रहे प्रवीण चक्रवर्ती ने लिखा क्या है। चक्रवर्ती ने अखबार में छपे नाना पटोले के बयान को लगाते हुए लिखा है, ‘कोई कार्यकर्ता एक पद से ज्यादा नहीं रखेगा। सिर्फ कार्यकर्ताओं पर ही ये लागू होता है!’ अब आपको बताते हैं कि चक्रवर्ती ने आखिर ये तंज क्यों कसा? दरअसल, राज्यसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी चुनाव की बात जब हो रही थी, तो प्रवीण का नाम भी लिया जा रहा था। चर्चा थी कि चक्रवर्ती को कांग्रेस राज्यसभा भेजेगी। राहुल का काफी करीबी होने की वजह से भी उनके नाम की चर्चा चल रही थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। प्रवीण ने पहले तो चुप्पी साधे रखी, लेकिन अब गांधी परिवार पर इशारों में निशाना साध दिया है।

कांग्रेस में बीते दिनों नेताओं ने अलग-अलग तरीके से आलाकमान पर निशाना साधने में कोई चूक नहीं की थी। राजस्थान के सिरोही से विधायक ने तो सीधे राहुल गांधी और कांग्रेस को टैग कर पूछ लिया था कि आखिर राज्य से कोई प्रत्याशी उन्हें क्यों नहीं दिखा। वहीं, राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने लिखा था कि शायद मेरी तपस्या में कोई कमी रह गई। जबकि, यूपी कांग्रेस के नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा था कि हिंदू संत और धर्माचार्य होना ही राज्यसभा प्रत्याशी बनने की राह में सबसे बड़ी बाधा है।