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लखीमपुर कांड: प्रियंका, अखिलेश,संजय सिंह देखते रह गये… ऐसे मामले को सुलझा ले गये CM योगी

Lakhimpur kheri News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री घटना घटित होने के बाद से ही अपने सारे कार्यक्रम स्थगित कर लखीमपुर की घटना और इससे जुड़े सारे अपडेट लखनऊ बैठकर लेते रहे। घटना होने के बाद विपक्ष के नेताओं ने लोगों के आक्रोश को होने वाले विधानसभा में भुनाने के मकसद से बयानबाजी शुरू कर दी

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में रविवार शाम को शुरू हुआ बवाल सोमवार दोपहर होते-होते शांत हो गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी पूरी क्षमता के साथ इस मामले को हैंडल करने की कोशिश की और मामले को भुनाने की जुगत में लगे सपा, कांग्रेस, बसपा और आप जैसी पार्टी के कई नेताओं को चित्त कर दिया। रविवार शाम को घटना घटित होने के बाद से लेकर सोमवार दोपहर तक घटनाक्रम इतनी तेजी से बदले कि मामला शांत हो गया और विपक्ष कोई बवाल नहीं कर पाया। विपक्ष लाख कोशिश के बाद इस मामले को भुनाने और कोई भी नेता फोटो खिंचवाने नहीं पहुंच पाया। आखिर ये सब हुआ कैसे?

Cm yogi

विपक्ष के नेताओं ने लखीमपुर पहुँचने में लगा दी ताकत 

रविवार शाम को जैसे ही ये खबर सामने आई कि कुछ किसानों की मौत हो गयी है। तब से ही सपा, कांग्रेस, बसपा, आप के नेता और इनके सहयोगी पार्टी के नेता अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव का मुद्दा बनाने की तैयारी करने लगे। रात होते-होते कई विपक्षी नेताओं ने सोमवार की सुबह तक लखीमपुर पीड़ित परिवार वालों तक पहुंचने का दावा कर दिया। दिल्ली से प्रियंका रात को ही निकल पड़ी। जहां उन्हें पुलिस ने कई जगहों पर रोका, नोंक-झोंक हुई। लेकिन कुछ काम नही आया.. भारी बारिश के बीच प्रियंका गांधी हर तरकीब निकालने में लगी रहीं कि किस तरह वे पुलिस को चकमा देकर लखीमपुर तक पहुंचने में कामयाब हो सकें। लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री घटना घटित होने के बाद से ही अपने सारे कार्यक्रम स्थगित कर लखीमपुर की घटना और इससे जुड़े सारे अपडेट लखनऊ बैठकर लेते रहे। घटना होने के बाद विपक्ष के नेताओं ने लोगों के आक्रोश को होने वाले विधानसभा में भुनाने के मकसद से बयानबाजी शुरू कर दी। कुछ साफ नहीं हो पा रहा था कि आख़िरकार पूरा मामला है क्या! लेकिन बयानबाजी चरम पर थी।

झाडू लगाती रही प्रियंका, योगी सरकार किसानों से करती रही बात 

इधर लखीमपुर से मिल रहे अपडेट और अधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद रात करीब साढ़े दस बजे, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्विटर पर लिखा- “ जनपद लखीमपुर खीरी में घटित हुई घटना अत्यंत दुःखद एवं दुर्भाग्यपूर्ण है। यूपी सरकार इस घटना के कारणों की तह में जाएगी तथा घटना में शामिल तत्वों को बेनकाब करेगी व दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करेगी। मौके पर शासन द्वारा अपर मुख्य सचिव नियुक्ति, कार्मिक एवं कृषि, एडीजी कानून-व्यवस्था, आयुक्त लखनऊ तथा आईजी लखनऊ मौजूद हैं तथा स्थिति को नियंत्रण में रखते हुए घटना के कारणों की गहराई से जांच कर रहे हैं। घटना में लिप्त जो भी जिम्मेदार होगा, सरकार उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही करेगी। क्षेत्र के सभी लोगों से अपील है कि वे किसी के बहकावे में न आएं व मौके पर शान्ति-व्यवस्था कायम रखने में अपना योगदान दें। किसी प्रकार के निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले मौके पर हो रही जांच तथा कार्यवाही का इन्तजार करें।

सीएम योगी ने पहले ही कर दिया था आगाह- “अफवाहों पर ध्यान न दें”

दरअसल जब घटना के बारे में अधिक जानकारी स्पष्ट नहीं हो पायी थी कुछ असमाजिक तत्व इसका फायदा उठाने में लग गये। तरफ-तरह की अफवाह फैलाई जाने लगी। इसी पर अंकुश लगाने के लिए सीएम योगी ने ट्वीट कर लोगों से किसी भी अफवाह पर ध्यान ना देने की बात कहीं और एतियातन पूरे लखीमपुर में इंटरनेट सेवा बंद करने का आदेश भी दे दिया, ताकि अफवाहों पर अंकुश लग सके। बीजेपी प्रवक्ताओं की मानें तो सीएम योगी पूरी रात अधिकारियों के साथ मीटिंग करते रहे और मामले की पल-पल की अपडेट लेते रहे। शायद यही कारण रहा कि विपक्ष घटनास्थल पर पहुंचकर अपनी दाल गलाने में कामयाब नहीं हो पाया और कुछ ही घंटों के अंदर मामला शांत हो गया।

किसान नेता तो पहुंच गये लेकिन नेता नही पहुंच पाए 

किसान नेता राकेश टिकैत रात को ही लखीमपुर के लिए रवाना हो गये थे, प्रियंका गांधी भी रवाना हो चुकी थीं। सपा, बसपा जैसी पार्टी के नेताओं को कम दूरी का ही (लखनऊ से लखीमपुर) सफ़र करना था तो वे सुबह होने का इंतजार करते रहे। वैसे भी परिजनों से मुलाक़ात सुबह ही होनी थी। राकेश टिकैत लखीमपुर खीरी पहुंच गये। कोई दिक्कत नहीं आई लेकिन योगी सरकार की तरफ से साफ़ निर्देश जारी हो चुका था कि कोई भी नेता लखीमपुर की सीमा में दाखिल नहीं होना चाहिए। लिहाजा पुलिस ने भी अपनी तैयारी कर ली थी। सुबह होते-होते प्रियंका गांधी को पुलिस में हिरासत में ले लिया, अखिलेश यादव को घर से नही निकलने दिया, सतीश चन्द्र मिश्रा के घर के बाहर पुलिस खड़ी हो गयी, चाचा शिवपाल यादव घर में बंद कर दिए गये। ये सब इसलिए किया गया क्योंकि अंदेशा था कि इन नेताओं के लखीमपुर पहुँचने के बाद मामला और बिगड़ सकता है। वैसे भी किसान आंदोलन के नेता राकेश टिकैत लखीमपुर पहुँच चुके थे। उनके जरिये बातचीत शुरू हो चुकी थी।

प्रियंका हिरासत तो चाचा शिवपाल कूद गये दीवार !

उधर सुबह होते ही सीतापुर में प्रियंका गांधी को हिरासत में लेकर गेस्ट हाउस में रख दिया गया जहां वे अनशन पर बैठ गयी। हिरासत का विरोध करने के लिए गेस्ट हाउस में झाडू लगाते दिखाई दीं। अखिलेश यादव के घर के बाहर पुलिस तैनात थी लेकिन अखिलेश और उनके समर्थकों ने पुलिस के साथ जोर जबरदस्ती करने में कोई कसर नही छोड़ी, यहां तक कि अखिलेश यादव के सामने ही सपा समर्थकों ने एक दरोगा को पीट भी दिया लेकिन पुलिस ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया। उधर सतीशचन्द्र मिश्रा को जब लगा कि पुलिस दरवाजे पर खड़ी हैं तो उन्होंने ये साफ कर दिया कि वे लखीमपुर नहीं जा रहे हैं लेकिन चाचा शिवपाल यादव तो एक कदम आगे निकले। ख़बरों की मानें तो शिवपाल सिंह के घर के बाहर भी पुलिस खड़ी थी, उन्हें भी लखीमपुर जाने से मना किया गया था लेकिन वे तो घर के पीछे की दीवार फांदकर निकल लिए। हालांकि फिर उन्हें पुलिस ने पकड़ कर घर के अंदर कर दिया। राष्‍ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी को लखीमपुर जाने से रोकने के लिए पुलिस बैरियर लगाया था लेकिन उनके समर्थकों ने बैरियर तोड़ा और दौड़कर दूसरी गाड़ी में सवार होकर लखीमपुर खीरी की तरफ भाग निकले। आप नेता संजय सिंह तो रास्ते में कहीं अपनी गाड़ी में ही बैठकर मीडिया कर्मियों को संबोधित करने लगे क्योंकि पुलिस ने उन्हें लखीमपुर खीरी जाने से रोक दिया था।

क्या लगता है ये नेता इतना उतावले क्यों थे लखीमपुर पहुंचने के लिए? क्या इनके दिल में घटना को लेकर कोई पीड़ा थी? क्या किसानों के प्रति कोई संवेदना थी? या मामला कुछ चुनाव से जुड़ा हुआ था?  ये तो आप आसानी से समझ सकते हैं।

किसानों की मांग को सरकार ने माँगा, लटक गया विपक्ष का मुंह 

खैर इधर नेताओं की लखीमपुर में एंट्री बैन और नेताओं के साथ बातचीत का दौर शुरू हो चुका था। सरकार के कई बड़े अधिकारी किसान नेताओं के संपर्क में थे। किसानों की बात सीधे लखनऊ पहुंच रही थी और योगी आदित्यनाथ लगातार किसानों की बात और मांग पर अपने पैनल के साथ विचार-विमर्श कर रहे थे। अंततः उत्तर प्रदेश के एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार जब किसान नेता राकेश टिकैत के साथ मीडियाकर्मियों के सामने आये तो किसान नेताओं के मुंह लटकने शुरू हो चुके थे। आधी प्रेस कांफ्रेस होते ही नेताओं के घरों के बाहर डेरा डाल बैठे समर्थक अब खिसकने लगे थे और पूरी प्रेस कांफ्रेस खत्म होते ही नेताओं का मुंह लटक चुका था।

‘रिटायर्ड जज से मामले की न्यायिक जांच, प्रत्येक मृतक परिवार को 45 लाख का मुआवजा, घायलों के लिए 10 लाख का मुआवजा, 8 दिनों के अंदर मुख्य अभियुक्त की गिरफ्तारी और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी’ सरकार ने किसानों की ये मांग मान ली और मीडिया को इसके बारे में जानकारी दे दी गई।

और इस तरह 24 घंटे के अंदर ही जिस मामले को भुनाने के लिए पूरा विपक्ष तड़फ रहा था, लखीमपुर हर हाल में पहुंचना चाहता था उसे योगी आदित्यनाथ ने अपने कंट्रोल में लिया। वहीँ विपक्ष मुंह लटकाए योगी सरकार को कोसता रह गया!