नई दिल्ली। अगर आप समसामयिक मसलों को जानने में तनिक भी दिलचस्पी रखते हैं, तब तो आपको ये पता ही होगा कि पिछले कई महीनों से कर्नाटक के पीयू कॉलेज में विशेष समुदाय के छात्रों द्वारा हिजाब पहनने को लेकर विवाद गरमाया हुआ है। विशेष समुदाय की छात्राएं जहां हिजाब पहनकर कॉलेज जाने की जिद्द पर अड़ी हुई हैं, तो वहीं शिक्षण संस्थान ड्रेस कोड का अनुपालन करने के लिए कह रहा है। अब आप यही सोच रहे होंगे कि इन मसले में दोनों ही पक्षों की तरफ से उभर रहे विरोधाभाष के उपरांत क्या कदम उठाए गए हैं, तो ज्यादा कुछ नहीं, बस, हर विवादित मसलों की तरह यह मसला भी अब कर्नाटक हाईकोर्ट की चौखट में दस्तक दे चुका है। अब कोर्ट आगे क्या कुछ फैसला लेती है। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि अब यह पूरा मसला देश के हर भागों में अपनी आमद दर्ज करवा चुका है।
आप समझ ही सकते हैं कि जब यह मसला देश के हर हिस्सों में अपनी सक्रियता दिखा रहा है, तो भला राजधानी दिल्ली कैसे इससे अछूती रहेगी, तो लगे हाथों यहां पर भी कई जगहों पर हिजाब को लेकर विवादों की दरिया बहती हुई नजर आ रही है, जिसमे लोग जमकर गोता लगाते हुए नजर आ रहे हैं। अभी ताजा मामला दक्षिण दिल्ली नगर निगम द्वारा शासित स्कूल से सामने आया है, जहां एक मुस्लिम बच्ची के स्कॉर्फ पहनने पर जब शिक्षण संस्थान की तरफ एतराज जताया गया, तो बच्ची के माता-पिता ने द्वारका के विधायक के समक्ष जाकर शिकवे-शिकायतों की दरिया बहा दी। मौलिक अधिकारों से लेकर मजहबी अधिकारियों तक का पाठ पढ़ाया गया। अब विधायक साहेब क्या करते, लिहाजा उन्होंने किसी की बातों को तरजीह दिए बगैर नियमों का पालन करना ज्यादा जरूरी समझा। अब आप सोच रहे होंगे कि हिजाब विवाद में नियम…कहीं आप ड्रेस कोड की बात तो नहीं कर रहे हैं…नहीं…नहीं…श्रीमान…हम ड्रेस कोड के नियम की बात नहीं कर रहे हैं। दरअसल, राजधानी दिल्ली में दो तरह से स्कूलों का संचालन होता है।
पहला नगर निगम द्वारा स्कूलों का संचालन और दूसरा दिल्ली सरकार द्वारा संचालित स्कूल। और जिस स्कूल से शिकायत का यह मामला संज्ञान में आया था, वो नगर निगम द्वारा संचालित स्कूल था। लिहाजा विधायक ने बिना देरी किए गए दक्षिण दिल्ली नगर निगम की पार्षद को पत्र लिखकर इस पूरे मसले से अवगत कराया, तो उन्होंने इसमें अपने विवेक का सहारा लेकर बच्ची के माता-पिता को पत्र लिखा। अब आप यही सोच रहे हैं न कि आखिर पार्षद ने कैसे पत्र लिखकर इस पूरे मसले में सुलह राह ढूंढ निकाली। आखिर उन्होंने पत्र में क्या लिखा था। तो उन्होंने पत्र में लिखा था कि, ‘देखिए मोहतरमा…दिल्ली के सभी स्कूलों में सभी छात्रों के लिए ड्रेस कोड निर्धारित किए गए हैं, जिसका अनुपालन करने के लिए सभी छात्र और छात्राएं बाध्य हैं और यह नियम बहुत सोच समझकर लागू किए गए हैं, ताकि शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों के बीच कोई भी हीन भावना पैदा न हो तो ऐसे में मुनासिब रहेगा कि आप भी अपने बच्चों को स्कूली ड्रेस में ही स्कूल भेजे’। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘यह पूरी घटना दक्षिण दिल्ली के तुखमीपुर स्कूल की है’। बता दें कि छात्रा की माता-पिता की तरफ से सिख छात्रा के द्वारा पगड़ी पहनने का तर्क भी दिया गया था, जिसे पार्षद द्वारा सिरे से खारिज कर दिया गया।