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Rift In Opposition Alliance: विपक्षी गठबंधन में टकराव जारी!, बंगाल में ममता को अधीर रंजन ने फिर घेरा तो पंजाब में आप को कांग्रेस की चुनौती, कई और राज्यों में भी आमने-सामने पार्टियां

एक तरफ 28 विपक्षी दलों ने पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी को केंद्र की सत्ता से हटाने के लिए I.N.D.I.A नाम सेगठबंधन किया है, लेकिन इस गठबंधन के दलों में ही आपस में रार मची है। पंजाब से बंगाल और कई अन्य राज्यों में विपक्षी गठबंधन के नेता अलग-अलग सुर में लगातार बोलते दिखाई दे रहे हैं।

कोलकाता। एक तरफ 28 विपक्षी दलों ने पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी को केंद्र की सत्ता से हटाने के लिए I.N.D.I.A नाम सेगठबंधन किया है, लेकिन इस गठबंधन के दलों में ही आपस में रार मची है। पश्चिम बंगाल में टीएमसी सुप्रीमो और सीएम ममता बनर्जी पर कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी लगातार हमले कर रहे हैं। अधीर रंजन ने एक बार फिर ममता बनर्जी पर निशाना साधा है। उन्होंने कोलकाता और राज्य के अन्य हिस्सों में फैले डेंगू को लेकर ममता सरकार को निशाने पर लिया। अधीर रंजन ने आरोप लगाया कि सीएम ममता बनर्जी ने राज्य के लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है। टीएमसी नेता कुणाल घोष ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि प्रदेश कांग्रेस को विपक्षी गठबंधन की लाइन पर रहना चाहिए। कुणाल ने कहा कि गठबंधन के शीर्ष नेतृत्व को इस बारे में विचार करना चाहिए। कुणाल घोष ने ये भी आरोप लगाया कि बंगाल में कांग्रेस और सीपीएम लगातार बीजेपी का सहयोग कर रही हैं।

एक तरफ अधीर रंजन चौधरी लगातार ममता बनर्जी पर निशाना साध रहे हैं। वहीं, पंजाब में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा भी इंडिया गठबंधन में शामिल और राज्य में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) पर निशाना लगाने से चूक नहीं रहे। प्रताप सिंह बाजवा ने मंगलवार को दावा किया था कि आप के 32 लोग उनसे संपर्क में हैं। बाजवा ने ये भी कहा था कि पंजाब की सभी 13 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी। उन्होंने जनता से आग्रह किया था कि इन सभी सीटों पर कांग्रेस को वो जिताए।

वहीं, आम आदमी पार्टी और इंडिया गठबंधन में शामिल समाजवादी पार्टी भी कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में अलग राह पकड़े हुए हैं। आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के लिए ताल ठोक रहे हैं। वहीं, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी मध्यप्रदेश में कई सीटों पर प्रत्याशी उतारने की तैयारी कर चुके हैं। विपक्षी दलों की एक बड़ी रैली भोपाल में होने वाली थी, लेकिन वो भी रद्द हो गई। खास बात ये है कि विपक्षी दलों के गठबंधन को बने काफी वक्त बीत जाने के बाद भी अब तक सीटों के बंटवारे पर कोई फैसला तक नहीं हो सका है।