newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

UP: साल के ज्यादातर वक्त यूपी में कहीं नहीं दिखती कांग्रेस, सिर्फ प्रियंका को चेहरा दिखाने के लिए जुटती है भीड़

UP News: पद मिलने से पहले प्रियंका के दर्शन लोकसभा चुनावों के वक्त अपनी मां सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली और भाई राहुल के संसदीय क्षेत्र अमेठी में होती थी। 2019 में राहुल ने अमेठी सीट गंवा दी। जिसके बाद प्रियंका ने भी अब तक अमेठी और रायबरेली का रुख नहीं किया है।

लखनऊ। साल का ज्यादातर वक्त देखें तो यूपी की राजधानी लखनऊ के माल एवेन्यू में बने कांग्रेस के दफ्तर में कोई चहल-पहल नहीं दिखती। नेता आते हैं और कुछ देर बैठकर चले जाते हैं, लेकिन यहां सफेद खादी में हुजूम कुछ खास मौकों पर दिखता है। ये खास मौका होता है पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का दौरा। डेढ़ साल बाद अब फिर कांग्रेस दफ्तर गुलजार है। क्योंकि प्रियंका यहां पहुंची हैं। कांग्रेस महासचिव के अलावा प्रियंका गांधी को यूपी की प्रभारी का भी जिम्मा मिला हुआ है। बावजूद इसके वह साल का ज्यादातर वक्त दिल्ली में बिताती हैं। पद मिलने से पहले प्रियंका के दर्शन लोकसभा चुनावों के वक्त अपनी मां सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली और भाई राहुल के संसदीय क्षेत्र अमेठी में होती थी। 2019 में राहुल ने अमेठी सीट गंवा दी। जिसके बाद प्रियंका ने भी अब तक अमेठी और रायबरेली का रुख नहीं किया है।

rahul gandhi and priyanka gandhi

दिल्ली में बैठकर यूपी में कांग्रेस को चलाने की प्रियंका की कोशिश कोई रंग नहीं दिखा पा रही है। नतीजे में यूपी से सिर्फ कांग्रेस की एक सांसद सोनिया गांधी हैं। जबकि, विधानसभा में पार्टी के सात विधायक हैं। इन विधायकों में से भी दो अदिति सिंह और राकेश सिंह बगावत का झंडा खुलेआम लहरा रहे हैं।

बस प्रियंका का दौरा होता है, तो कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता हुजूम बनाकर उन्हें चेहरा दिखाने पहुंच जाते हैं। इस दौरान फोटो सेशन ही ज्यादातर होता है। किसी को शायद ही याद हो कि जिस जनता का नाम लेकर प्रियंका और कांग्रेस के नेता सियासत करते हैं, उसके लिए बीते साढ़े चार साल में कांग्रेस कितनी बार यूपी में सड़कों पर उतरी।

Priyanka Gandhi Vadra

नतीजा सबके सामने है। जितिन प्रसाद जैसा बड़ा चेहरा कांग्रेस का हाथ झटककर बीजेपी का कमल थाम चुका है। 1989 के बाद कांग्रेस का नाम यूपी से मिट चुका है। उसकी कोई सरकार यूपी में अब तक बन नहीं सकी। यहां तक कि कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी से हाथ मिलाया, लेकिन उसका भी कोई फायदा उसे नहीं मिला।