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स्कूली बच्चों को गीता पढ़ाने का लिया गया फैसला, तो कांग्रेस नेता रहमान खान को लगी मिर्ची, कहा- गीता पढ़ाना गलत बात नहीं है, लेकिन..

कांग्रेस नेता रहमान खान ने कहा कि, ‘इसमें भाजपा का स्वार्थ निहित है। हर धार्मिक पुस्तक धर्म सिखाती है, आप यह नहीं कह सकते हो कि यह केवल गीता है, जो धर्म या भारतीय संस्कृति सिखाती है। अगर ऐसा है, तो सभी धार्मिक पुस्तकों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि नई शिक्षा नीति को हिंदुत्व नीति के आवरण में ओढना ही मकसद है बाकी कुछ नहीं।”

नई दिल्ली। अभी कुछ दिनों पहले की ही तो बात थी, जब गुजरात की बीजेपी सरकार ने स्कूलों में 6वीं से 12वीं तक के बच्चों को गीता पढ़ाने का फैसला किया था। गुजरात सरकार के इस कदम के बाद कर्नाटक सरकार ने भी अपना समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि अगर विशेषज्ञ मंजूरी देंगे, तो हमारे राज्य में भी आगामी शैक्षाणिक वर्ष में ऐसा फैसला लिया जाएगा। तो इस तरह से आप देख सकते हैं कि लगे हाथों दोनों ही भाजपा शासित सरकारों ने स्कूली बच्चों को गीता पढ़ाने का फैसला किया, लेकिन कांग्रेस नेता रहमान खान के बयान से लग रहा है कि उन्हें दोनों ही राज्यों की सरकारों का फैसला रास नहीं आ रहा है। मानो उन्हें दोनों ही राज्यों की सरकारों के फैसले से मिर्ची लग गई है। उन्हें लग रहा है कि इसमें भाजपा का स्वार्थ निहित है। आइए, अब आपको बताते हैं कि कांग्रेस नेता रहमान खान ने बच्चों को स्कूल में गीता पढ़ाने के सरकार के फैसले पर एतराज जताते हुए क्या कुछ कहा?

तो कांग्रेस नेता रहमान खान ने कहा कि, ‘इसमें भाजपा का स्वार्थ निहित है। हर धार्मिक पुस्तक धर्म सिखाती है, आप यह नहीं कह सकते हो कि यह केवल गीता है, जो धर्म या भारतीय संस्कृति सिखाती है। अगर ऐसा है, तो सभी धार्मिक पुस्तकों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए, क्योंकि नई शिक्षा नीति को हिंदुत्व नीति के आवरण में ओढना ही मकसद है बाकी कुछ नहीं।” तो देखा न आपने कि कैसे कांग्रेस नेता रहमान खान का पारा सरकार के फैसले से गरमाया हुआ है। लेकिन शायद आपको ये जानकर हैरानी होगी कि भारतीय राजनीति में रहमान खान ही इकलौते ऐसे नेता नहीं हैं, जिन्हें सरकार द्वारा बच्चों को गीता पढ़ाने का फैसला रास नहीं आ रहा है, बल्कि इस फेहरिस्त में एक और मशहूर नेता का नाम जुड़ा हुआ है, जिनका नाम है मनीष सिसोदिया।

जी हां… आपको बता दें कि मनीष सिसोदिया भी बच्चों को स्कूल में गीता पढ़ाए जाने के कदम की आलोचना कर चुके हैं। उन्होंने अपने बयान में कहा था कि, उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से यह एक महान कदम है लेकिन जो लोग इसे पेश कर रहे हैं उन्हें पहले गीता के मूल्यों का अभ्यास करने की जरूरत है। उनके कर्म रावण की तरह हैं और वे गीता के बारे में बात करते हैं। तो देखा ने आपने किस तरह से अपने स्वार्थ हितों की पूर्ति करने के लिए किस तरह कुछ चुनिंदा राजनेता सरकार के इस कदम के भत्सर्ना करने में जुटे हुए हैं, लेकिन आपका सरकार के इस कदम को लेकर क्या कुछ कहना है। आप हमें कमेंट कर बताना बिल्कुल मत भूलिएगा।