नई दिल्ली। देश में अपना अस्तित्व लगभग खो चुकी कांग्रेस पार्टी अब उन मुद्दों पर जोर देकर राजनीति में अपनी सक्रियता को बनाए रखना का प्रयास कर रही है। कांग्रेस का हाथ हर उस मुद्दे को पकड़कर सियासत करना चाहता है जिससे उसकी डूबती नाव किनारे आ सके। इस बीच आज सोमवार को कांग्रेस के नेता-कार्यकर्ता लखीमपुर हिंसा के खिलाफ मौन व्रत (congress maun vrat) के लिए बैठे। एक तो पहले ही कांग्रेस का मौन व्रत का कार्यक्रम तय समय से एक घंटे देरी से शुरू हुआ वहीं बाद में तीन घंटे के मौन व्रत में कांग्रेसी नेता 2 घंटे से ज्यादा समय तक बातचीत करते नजर आए। मौन व्रत में शामिल विधायक, कार्यकर्ता सभी आपस में बातचीत करते दिखे, मतलब कोई मौन था ही नहीं।
दरअसल, राजस्थान कांग्रेस की ओर से सुबह 10 बजे से लेकर 1 बजे तक मौन व्रत पर बैठने की बात कही थी लेकिन कार्यक्रम शुरू होते-होते 11 बज गए। जैसे तैसे 11 बजे शुरू हुए मौन व्रत की शुरूआत हुई। कांग्रेस पार्टी की ओर से दूसरे राज्यों में भी ऐसे ही प्रदर्शन किए गए थे। महाराष्ट्र सरकार ने भी लखीमपुर घटना के विरोध में आज बंद का ऐलान किया था जिसका असर मुंबई, पुणे समेत कई राज्यों में देखने को मिला।
बता दें, एक तरफ जहां कांग्रेस पार्टी राजस्थान में लखीमपुर हिंसा के खिलाफ मौन व्रत (congress maun vrat) के लिए बैठे थे तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस के मौन व्रत वाली जगह के पास जाकर रीट परीक्षा पेपर लीक मामले में सरकार को घेरने की कोशिश की। बीजेपी के इस प्रदर्शन में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया भी शामिल हुए।