चुशूल। चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू अगले हफ्ते शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने भारत आएंगे। इससे पहले भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख के विवादित इलाकों के संबंध में रविवार को कोर कमांडर स्तर की बैठक हुई। भारत और चीन के बीच चुशूल में हुई बैठक में एक बार फिर देपसांग और डेमचोक का मसला उठा। इन दोनों ही जगह चीन ने लंबे समय से भारतीय क्षेत्र पर कब्जा जमा रखा है। भारत का नेतृत्व फायर एंड फ्यूरी कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राशिम बाली ने किया। 5 महीने बाद भारत और चीन के कोर कमांडरों के बीच ये 18वीं बैठक थी। इससे पहले दिसंबर 2022 में कोर कमांडर स्तर की आखिरी बैठक हुई थी।
सूत्रों के अनुसार भारतीय पक्ष ने चीन से देपसांग और डेमचोक में भारतीय इलाके से सेना हटाने की पुरानी मांग दोहराई। दोनों जगह साल 2014 से पहले चीन के सैनिकों ने एलएसी के इस पार अतिक्रमण कर कब्जा जमाया गया था। दोनों इलाकों में भारतीय सेना के गश्ती दल को भी चीन की तरफ से लगातार रोका जाता रहा है। भारत और चीन की सेना का बड़ा जमावड़ा देपसांग और डेमचोक में है। चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू के भारत दौरे से पहले कोर कमांडर स्तर की बैठक को अहम माना जा रहा है। शांगफू भारत आकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी अलग से मुलाकात करेंगे। तब डेमचोक और देपसांग के बारे में अहम एलान होने की सभी को उम्मीद है।
भारत और चीन के बीच एलएसी का मुद्दा 1948 से ही बना हुआ है। 1962 की जंग के बाद से चीन लगातार एलएसी का उल्लंघन करता रहा है। 2020 में पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग सो और गलवान घाटी समेत कई जगह उसने अतिक्रमण की कोशिश की थी। गलवान में भारत और चीन के सैनिकों के बीच संघर्ष हुआ था। जिसमें भारत के कर्नल बी. संतोष बाबू समेत 20 जवान शहीद हुए थे। चीन के भी 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे। चीन की तरफ से पिछले साल दिसंबर में अरुणाचल प्रदेश के यांग्त्से में भी एलएसी के पार आकर भारतीय इलाके पर कब्जे की कोशिश की गई थी। चीन के सैनिकों के इस दुस्साहस का भारतीय जवानों ने जमकर जवाब दिया था। उन्होंने पीटकर चीन के सैनिकों को भागने पर मजबूर कर दिया था।