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UP: गरीब मजदूरों की मदद के लिए मोदी सरकार की इस योजना के खिलाफ भी दारुल उलूम, बताया इस्लाम में हराम

ई-श्रम कार्ड केंद्र सरकार की योजना है और इस योजना के तहत मजदूर, रिक्शा चालक, रेहड़ी वाले, टेलर, बढ़ई और वेल्डिंग करने वालों को मदद दी जाती है। बीते दिनों राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग ने बच्चों को गोद लेने के बारे में दिए गए फतवों की वजह से दारुल उलूम को नोटिस भेजा था।

देवबंद। यूपी के देवबंद स्थित इस्लामी संस्थान दारुल उलूम एक बार फिर अपने फतवे की वजह से चर्चा का केंद्र बन गया है। दारुल उलूम ने अपने ताजा फतवे में मोदी सरकार के ई-श्रम कार्ड को हराम करार दिया है। इस्लामी संस्थान के फतवा विभाग के मुताबिक ई-श्रम कार्ड में बीमा पॉलिसी शामिल है। इस योजना में दारुल उलूम ने बीमा पॉलिसी का ब्याज और जुआ होने की बात कही है। ऐसे में फतवा जारी करने वाले मुफ्ती ने इसे इस्लाम में हराम बताते हुए कहा है कि मुसलमान को ई-श्रम कार्ड नहीं बनवाना चाहिए। बता दें कि ई-श्रम कार्ड केंद्र सरकार की योजना है और इस योजना के तहत मजदूर, रिक्शा चालक, रेहड़ी वाले, टेलर, बढ़ई और वेल्डिंग करने वालों को मदद दी जाती है।

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इससे पहले दारुल उलूम अपने कई फतवों की वजह से लोगों के निशाने पर आता रहा है। बीते दिनों राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग ने बच्चों को गोद लेने के बारे में दिए गए फतवों की वजह से दारुल उलूम को नोटिस भेजा था। इस पर जिला प्रशासन ने इस्लामी संस्थान की वेबसाइट से 19 फतवों को हटवा दिया था। इस मामले में अभी तक दारुल उलूम की ओर से प्रशासन और आयोग के नोटिस का जवाब नहीं दिया गया है। अब समाज के सबसे निचले तबके के कारीगरों की मदद के लिए लाई गई योजना को हराम करार देकर दारुल उलूम सवालों के घेरे में है।

दारुल उलूम सुन्नी मुसलमानों का केंद्र हैं और देश-विदेश में काफी नामचीन है। यहां विदेश से भी छात्र इस्लाम की शिक्षा लेने आते हैं। यहां एक फतवा विभाग है। जिसमें कई मुफ्ती बैठते हैं। देश-विदेश से आने वाले सवालों पर दारुल उलूम के ये मुफ्ती शरीयत के हिसाब से फतवे जारी कर उसे वेबसाइट पर लोड करवाते हैं। ये फतवे कुरान और हदीस के मुताबिक दिए जाते हैं और मौजूदा सामाजिक व्यवस्था पर ऐसे फतवे देते वक्त ध्यान नहीं दिया जाता है।