नई दिल्ली। उत्तर पूर्वी दिल्ली में इसी साल की फरवरी में हुए दंगों को लेकर दिल्ली पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। बता दें कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को दिल्ली पुलिस ने रविवार देर रात गिरफ्तार कर लिया है। दिल्ली दंगे में उमर खालिद की भूमिका होने का आरोप है। उमर खालिद की गिरफ्तारी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून यानी Unlawful Activities (Prevention) Act (UAPA) के तहत की गई है।
बता दें कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने खालिद से पहले 11 घंटे लंबी पूछताछ की उसके बाद गिरफ्तार किया। आज उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा। वहीं इससे पहले पुलिस ने दंगे से जुड़े एक अन्य मामले में उमर के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधि (निषेध) कानून (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया था। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने भी दंगे के पीछे कथित साजिश के मामले में उमर से पूछताछ की थी। पुलिस ने उनका मोबाइल फोन भी जब्त कर लिया था।
उमर खालिद का विवादों से पुराना नाता रहा है। इससे पहले 2016 में जेएनयू में हुई कथित देशविरोधी नारेबाजी के मामले में उमर खालिद सबसे पहले सुर्खियों में आए थे। उस मामले में भी उन्हें गिरफ्तार किया गया था। वह जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार के साथ देशद्रोह मामले के मुख्य आरोपियों में भी शामिल हैं।
बता दें कि कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोधियों और समर्थकों के बीच हिंसा के बाद 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे जिसमें कम से कम 53 लोगों की मौत हुई थी जबकि 200 के करीब घायल हुए थे। दिल्ली पुलिस का कहना है कि हिंसा फैलाने की साजिश करने वालों और समुदायों के बीच सांप्रदायिक उन्माद भरने की कोशिश करने वालों की भूमिका की जांच हम कर रहे हैं। एक अधिकारिक बयान में दिल्ली पुलिस ने कहा कि विभिन्न हित समूह सोशल मीडिया मंच और अन्य ऑनलाइन पोर्टल का उपयोग कर दंगे के मामलों की जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहे हैं।
आपको बता दें कि उमर खालिद की गिरफ्तारी से पहले कुछ ऐसे बड़े राजनीतिक नाम सामने आए जिनपर दंगे भड़काने का आरोप है। 15 जनवरी को सीलमपुर में हुए प्रदर्शन के बारे में फातिमा ने पुलिस के सामने खुलासा करते हुए कहा, “योजना के अनुसार भीड़ बढ़ने लगी थी। उमर खालिद, चंद्रशेखर रावण, योगेंद्र यादव, सीताराम येचुरी और वकील महमूद प्राचा सहित बड़े नेता और वकील इस भीड़ को भड़काने के लिए आगे आने लगे।”
चार्जशीट के अनुसार, उन्होंने कहा, “प्राचा ने कहा कि प्रदर्शन में बैठना आपका लोकतांत्रिक अधिकार है और बाकी नेताओं ने सीएए और एनआरसी को मुस्लिम विरोधी बताकर समुदाय में असंतोष की भावना को हवा दी।” अर्थशास्त्री जयंती घोष, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापक एवं सामाजिक कार्यकर्ता अपूर्वानंद और डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर राहुल रॉय का नाम भी आरोपपत्र में शामिल है। कलिता और नताशा नरवाल ने बयान में कहा कि उन्हें तीनों व्यक्तियों द्वारा सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध किए जाने और किसी भी हद तक जाने के लिए कहा गया था।