मुंबई। महाराष्ट्र में करीब ढाई साल से सत्ता में बैठे उद्धव ठाकरे को आखिरकार एकनाथ शिंदे के हाथ करारी मात खानी पड़ी। शिंदे के साथ गए 38 और शिवसेना विधायकों ने उद्धव की सरकार के ताबूत में आखिरी कील ठोक दी। हिंदुत्व के मुद्दे पर शिंदे और उनके साथ एकजुट हो गए और इसके साथ ही शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की महाविकास अघाड़ी सरकार का पतन हो गया। इस सरकार के पतन की गाथा बुधवार को जैसे-जैसे लिखी जा रही थी, उसके साथ ही बीजेपी के नेता और पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस की चर्चा तेज होती जा रही थी। रात को जब उद्धव ने सीएम पद से इस्तीफा देने का एलान किया, तो इसके साथ ही फडणवीस का एक पुराना वीडियो फिर वायरल हो गया।
ये वीडियो साल 2019 का है। विधानसभा सत्र के दौरान जब सत्ता में बैठी शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस सदस्यों ने बीजेपी और फडणवीस को लेकर तंज कसा था, तो उन्होंने पलटकर एक शेर सदन में सुनाया था। देवेंद्र फडणवीस ने सदन में जो शेर पढ़ा था, उसका ही वीडियो अब वायरल हुआ है। ढाई साल बाद और जो उन्होंने कहा था, वो एकदम हकीकत भी बन गया है। देवेंद्र फडणवीस ने सदन में तब कहा था, ‘मेरा पानी उतरते देखकर मेरे किनारे घर न बना लेना, मैं समंदर हूं लौटकर आऊंगा’। आज उद्धव की सरकार गिरने के पीछे अगर किसी बीजेपी नेता का श्रेय है, तो वो देवेंद्र फडणवीस ही हैं। यहां देखिए साल 2019 का वो वीडियो, जिसमें देवेंद्र ने शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस को चेतावनी दी थी।
2019 में देवेंद्र फडणवीस ने कहा था
“मेरा पानी उतरते देखकर किनारे पर घर मत बसा लेना, मैं समंदर हूं..लौटकर आऊंगा”
वही हुआ।
उद्धव की सत्ता के फ्लोर में बगावत का समंदर घुस आया#Maharashtra pic.twitter.com/ADJlS7hUYj— Sweta Singh (@SwetaSinghAT) June 29, 2022
हालांकि, फडणवीस ने काफी कोशिश भी की थी कि किसी तरह शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस मिलकर सरकार न बना सकें। उन्होंने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के भतीजे अजित पवार को तोड़कर सरकार भी बनाई थी, लेकिन फिर अजित पवार अपने चाचा के साथ चले गए और फडणवीस को कुर्सी छोड़नी पड़ी। इसके बाद भी फडणवीस चुप नहीं रहे। वो लगातार आंदोलन करते रहे। अघाड़ी सरकार के जनविरोधी फैसलों को लेकर देवेंद्र और बीजेपी के कार्यकर्ता लगातार सड़कों पर उतरते रहे। बीते दिनों फडणवीस ने राज्यसभा और विधान परिषद चुनावों में शिवसेना में बड़ी सेंध लगाते हुए पार्टी के उम्मीदवारों को जिताया था। इसके बाद ही उद्धव ठाकरे की सरकार के पतन का दौर शुरू हुआ और शिंदे कैंप ने उनसे बगावत की।