नई दिल्ली। कर्नाटक हिजाब मामले (Karnataka Hijab Controversy) में सुप्रीम कोर्ट में आठवें दिन की सुनवाई पूरी हो गई है। कोर्ट में हिजाब पर सुनवाई के दौरान ईरान का जिक्र भी किया गया। राज्य सरकार की तरफ से दलालें रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि, राज्य सरकार ने अनुशासन के मद्देनजर शिक्षण संस्थानों को ड्रेस कोड लागू करने के लिए हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। ईरान समेत कई इस्लामिक देशों में महिलाएंं हिजाब के खिलाफ लड़ाई लड रही है। कुरान में हिजाब का जिक्र होने से वो इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं हो जाता है। हिजाब के मसले पर कल कर्नाटक के एडवोकेट जनरल अपना पक्ष रखेंगे।
कोर्ट में आज सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कर्नाटक सरकार का पक्ष रखा। इस दौरान उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण पक्ष रखते हुए कहा कि, साल 2021 से पहले सब लोग ड्रेस कोड मांग रहे थे लेकिन 2020 में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI ने जानबूझकर हिजाब के पक्ष में लोगों को उकसाया। इसके बाद स्कूल और कॉलेजों में मुस्लिम लड़कियां हिजाब पहनकर आने लगी और जिसके जवाब में हिंदू छात्र भी भगवा गम्छा पहनकर आने लगे।
इसके अलावा सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ईरान का भी उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि किसी तरह से ईरान की महिलाएं हिजाब के विरोध में जो अनिवार्यता कर दी गई है। उसके विरोध में संघर्ष में कुछ लोग इसे अनिवार्य बनाने जैसा दिखाने की कोशिश कर रहे है। बता दें कि इस मामले पर कल भी सुनवाई जारी रहेगी।
आपको बता दें कि हिजाब विवाद की शुरुआत उस वक्त हुई थी जब उडुपी कॉलेज में कुछ छात्राओं को हिजाब पहनकर क्लास में आने से रोक दिया गया था। वहीं कॉलेज प्रशासन से अनुमति नहीं मिलने के बाद इसका विरोध शुरू हो गया और हिजाब मसले को लेकर जमकर सियासत भी हुई।