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फर्टिलाइजर घोटाला : ईडी ने मुख्यमंत्री गहलोत के भाई के ठिकाने समेत कई जगह मारे छापे

सूत्रों के अनुसार, अग्रसेन गहलोत आईपीएल के अधिकृत डीलर थे और 2007-09 के बीच उनकी कंपनी ने रियायती दरों पर एमओपी खरीदा और इसे किसानों को वितरित करने के बजाय कुछ अन्य कंपनियों को बेच दिया। उन्होंने इसे इंडस्ट्रियल सॉल्ट के रूप में मलेशिया और सिंगापुर को निर्यात किया।

नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को फर्टिलाइजर घोटाले के मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई अग्रसेन गहलोत के आवास सहित एक दर्जन से अधिक जगहों पर छापेमारी की। ईडी ने दिल्ली, राजस्थान, गुजरात और पश्चिम बंगाल में कई अन्य जगहों पर तलाशी ली।

ashok gehlot

ईडी के एक शीर्ष सूत्र ने आईएएनएस को बताया, “ईडी इस मामले में देश भर में विभिन्न जगहों पर तलाशी ले रहा है। हमारी टीमें गुजरात में चार स्थानों पर, राजस्थान में छह स्थानों पर, पश्चिम बंगाल में दो और दिल्ली में एक स्थान पर तलाशी ले रही है।”

सूत्र ने यह भी कहा कि वित्तीय जांच एजेंसी अग्रसेन गहलोत के ठिकानों पर भी तलाशी ले रही है। सूत्र ने दावा किया कि अग्रसेन गहलोत के स्वामित्व वाली कंपनी म्युरिएट ऑफ पोटाश (एमओपी) फर्टिलाइजर का निर्यात कर रही थी, जो निर्यात के लिए प्रतिबंधित है। एमओपी को इंडियन पोटाश लिमिटेड (आईपीएल) द्वारा आयात किया जाता है और फिर इसे किसानों के बीच रियायती दरों पर वितरित किया जाता है।

हालांकि ईडी की इस कार्रवाई के समय को लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। ईडी की छापेमारी के बाद भड़की कांग्रेस ने मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला है। कांग्रेस ने कहा कि जब राज्य में कांग्रेस सरकार को गिराने की केंद्र की कोशिश नाकाम हो गई, तब ईडी ने छापेमारी की है, जिसमें गहलोत के भाई के परिसर शामिल हैं। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने जयपुर में संवाददाताओं से कहा, “जब भी भाजपा किसी राज्य की सरकार को गिराने में विफल होती है तो वह ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग का सहारा लेती है।”

Randeep Singh Surjewala ‏

सूत्रों के अनुसार, अग्रसेन गहलोत आईपीएल के अधिकृत डीलर थे और 2007-09 के बीच उनकी कंपनी ने रियायती दरों पर एमओपी खरीदा और इसे किसानों को वितरित करने के बजाय कुछ अन्य कंपनियों को बेच दिया। उन्होंने इसे इंडस्ट्रियल सॉल्ट के रूप में मलेशिया और सिंगापुर को निर्यात किया।

Sachin Pilot and Ashok Gehlot
ईडी का यह तलाशी अभियान तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सचिन पायलट द्वारा किए गए विद्रोह के बाद सामने आया है, जिसने राजस्थान में एक राजनीतिक संकट पैदा कर दिया है। इसके बाद 14 जुलाई को पायलट को पार्टी ने तमाम पदों से हटा दिया था। जबकि राजस्व खुफिया निदेशालय ने 2012-13 में इस मामले का खुलासा किया था।