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Electoral Bonds: राजनीतिक दलों द्वारा सीलबंद लिफाफे सौंपने के बाद चुनाव आयोग ने चुनावी बांड पर नया डेटा किया जारी

Electoral Bonds: हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने डेटा वाला ये सीलबंद लिफाफा कोर्ट को सौंप दिया. 15 मार्च को आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीलबंद लिफाफा चुनाव आयोग को लौटा दिया. इसके बाद चुनाव आयोग ने यह जानकारी सार्वजनिक कर दी।

नई दिल्ली। भारतीय चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में रविवार (17 मार्च) को अपनी वेबसाइट पर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चुनावी बांड के संबंध में नई जानकारी अपलोड की है। इससे पहले चुनाव आयोग ने 14 मार्च को चुनावी बॉन्ड से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक की थी। इस जानकारी में कंपनियों द्वारा खरीदे गए चुनावी बॉन्ड और उनके जरिए पार्टियों को मिलने वाला योगदान शामिल था।मूलतः चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बांड पर जमा रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद यह जानकारी सार्वजनिक की। यह जानकारी अप्रैल 2019 में सुप्रीम कोर्ट के एक अंतरिम आदेश के बाद राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव आयोग को सौंपी गई थी, जहां उन्होंने चुनावी बांड के माध्यम से प्राप्त योगदान का खुलासा किया था। चुनाव आयोग ने प्रचलित कानूनों के अनुसार गोपनीयता बनाए रखते हुए इस जानकारी को लिफाफे में बंद कर दिया था।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने डेटा वाला ये सीलबंद लिफाफा कोर्ट को सौंप दिया। 15 मार्च को आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीलबंद लिफाफा चुनाव आयोग को लौटा दिया। इसके बाद चुनाव आयोग ने यह जानकारी सार्वजनिक कर दी।चुनाव आयोग ने सीलबंद लिफाफे में ये डेटा सुप्रीम कोर्ट को मुहैया कराया था। आज, रविवार को एक बयान में, चुनाव आयोग ने कहा, “सर्वोच्च न्यायालय की रजिस्ट्री ने सीलबंद लिफाफे में रखी डिजिटल रिकॉर्ड वाली एक पेन ड्राइव के साथ भौतिक प्रतियां भारत के चुनाव आयोग को वापस कर दी हैं। भारत निर्वाचन आयोग सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री से प्राप्त डिजिटल डेटा आज अपलोड कर दिया है।” चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के एक दिन बाद डेटा जारी किया, जो 19 अप्रैल से 1 जून तक सात चरणों में होंगे।


विपक्ष ने उठाए सवाल

गौरतलब है कि चुनावी बॉन्ड को लेकर विपक्षी पार्टियां लगातार बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर हमला बोल रही हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे सबसे बड़ा घोटाला करार दिया है, वहीं आम आदमी पार्टी ने कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की है। भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की सख्ती के बाद स्टेट बैंक ने चुनावी बांड से जुड़ा डेटा 12 मार्च को चुनाव आयोग को सौंप दिया, जहां से इसे बाद में सुप्रीम कोर्ट में जमा किया गया। कोर्ट ने चुनाव आयोग को इसे अपलोड करने का आदेश दिया था।