नई दिल्ली। पता ही होगा आपको कि लाख कोशिशों के बावजूद भी रूस-यूक्रेन युद्ध का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर न जाने कितने ही राष्ट्रध्यक्ष दोनों ही देशों से युद्ध पर विराम लगाने की गुजारिश कर चुके हैं, लेकिन अफसोस जमीनी स्तर पर अभी तक इस गुजारिश का कोई प्रभाव नजर नहीं आ रहा है। लेकिन, इस बीच अगर दोनों ही देशों के बीच जारी युद्ध को लेकर भारत के रूख की बात करें, तो भारत की तरफ से अभी तक किसी भी देश का प्रत्यक्ष रूप से समर्थन नहीं किया गया है, लेकिन कूटनीतिक जानकारों का मनाना है कि रूस को अप्रत्यक्ष व मौन रूप से भारत का समर्थन प्राप्त है, जिसे लेकर कई बार मर्तबा यूरोप की तरफ से रूस को निशाने पर भी लिया जा चुका है। हालांकि, अभी तक किसी भी यूरोपीय देशों के उक्त कृत्य का भारत की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया है, लेकिन अब जब पानी सिर से ऊपर पहुंच चुका है, तो आपको यकीन नहीं होगा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रसाद ने यूरोप को ऐसे धोया है कि उसे भी याद रहेगा कि पड़ा था किसी भारतीय विदेश मंत्री से पाला। चलिए, आपको पूरा मसला तफसील से बताते हैं।
दरअसल, अभी विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रसाद यूरोपीय देश स्लोवाकिया के दौरे पर हैं। जहां उन्होंने अपने समकक्ष से मुलाकात कर विभिन्न पक्षों पर अपनी राय जाहिर की है। लेकिन इस बीच जिस तरह यूरोपीय देशों की तरफ से भारत को रूस से तेल खरीदने को लेकर निशाने पर लिया जा रहा है, उसे लेकर उन्होंने यूरोप को बुरी तरह से धो डाला है। उधर, अभी हाल ही में जिस तरह से भारत को उसके गेहूं निर्यात को लेकर निशाना पर लिया जा रहा है, उसे लेकर उन्होंने कहा कि भारत की तरफ से अभी तक 23 देशों को गेहूं निर्यात किया जा चुका है, लेकिन किसी भी देश की तरफ से कोई शिकायत नहीं आई है। आखिर क्यों कुछ चुनिंदा देशों की ओर से ही शिकायतों की भरमार देखने को मिल रही है। हम इसके पीछे की वजह समझ रहे हैं।
#WATCH This is construct you’re trying to impose on India. Don’t think it’s necessary for India to join any axis.India entitled to make its own choices which will be a balance of its values &interests:EAM on being asked about US-led axis & China as another potential axis in world pic.twitter.com/cFCiy3wneq
— ANI (@ANI) June 3, 2022
उधर, जिस तरह से भारत को रूस से तेल खऱीदने को लेकर निशाने पर लिया जा रहा है, उसे लेकर उन्होंने कहा कि इकलौता भारत ही नहीं, बल्कि कई यूरोपीय देशों की तरफ से रूस से तेल खरीदा जा रहा है। विदेश मंत्री ने आगे कहा कि आखिर क्यों अमेरिका समेत अन्य यूरोपीय देश ईरान के तेल को बाजार में आने से रोक रहे हैं। वे क्यों वेनेजुएला के तेल को यूरोपीय बाजार में जाने से रोक रहे हैं। उन्होंने यूरोप को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इन लोगों ने हमारे तेल के स्रोतों को पूरी तरह से जकड़ लिया है और फिर कहते हैं कि आखिर क्यों रूस से तेल खऱीद रहे हो। मुझे नहीं लगता है कि यह ठीक रवैया है। इसके अलावा उन्होंने आगे कहा कि आखिर क्यों यूरोप हमेशा एशिया की समस्या पर चुप्पी साध लेता है। आखिर क्यों नहीं वो किसी भी मसले पर खुलकर नहीं बोलता है।
जिस तरह बीते कुछ दशकों में यूरोप ने तरक्की की फसल काटी है, उसे देखकर तो अब बस यही लगता है कि यूरोप की समस्या दुनिया की समस्या है, लेकिन दुनिया की समस्या यूरोप की समस्या नहीं रह गई है। आखिर क्यों। भारत के चीन के साथ सबसे चुनौतीपूर्ण पड़ाव से रिश्ते गुजर रहे हैं, लेकिन पूरा यूरोप धड़ा चुप है। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के परिणामस्वरूप आर्थिक रूप से कमजोर की देशों की समस्याएं अपने चरम पर पहुंच चुकी है। दैनिक उपभोग की कई वस्तुओं के दाम आसामन छू रहे हैं, लेकिन अफसोस रूस की तऱफ से इस दिशा में कोई भी कोशिश नहीं की गई। आखिर क्यों। यह एक सवाल है, लेकिन मेरा तजुर्बा कहता है कि यूरोप इन सवालों का जवाब देने की स्थिति में नहीं है। आखिर क्यों। तो इस तरह से आप देख सकते हैं कि विभिन्न मसलों का सहारा लेकर किस तरह भारतीय विदेश मंत्री ने पूरे के पूरे यूरोप को कड़ा पैगाम दिया है। अब ऐसी स्थिति में आगामी दिनों में रूस की तरफ से भारत को लेकर क्या रुख देखने को मिलता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। तब तक के लिए आप देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए आप पढ़ते रहिए। न्यूज रूम पोस्ट.कॉम